1461. गुरूद्वारा श्री छेहराटा साहिब जी किस स्थान पर स्थित
है ?
1462. गुरूद्वारा श्री छेहराटा साहिब जी, गुरू की वडाली, किस
गुरू का जन्म स्थान है ?
1463. गुरूद्वारा श्री छेहराटा साहिब जी का नाम कैसे पड़ा ?
1464. गुरूद्वारा श्री गुरू का बाग साहिब जी, जो कि ग्राम
सैंसारा में स्थित है, जो अमृतसर अजनाला रोड पर है, किस गुरू से संबंधित है ?
1465. गुरूद्वारा श्री गुरू का बाग साहिब जी, ग्राम सैंसारा
अमृतसर अजनाला रोड, इस गुरूद्वारे का नाम गुरू का बाग कैसे पड़ा ?
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इस स्थान पर नवें गुरू श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी, गाँव
घुके वाली में एक गुरू सिक्ख के घर 9 महीने 9 दिन 9 घड़ीयाँ विराजमान रहे। जिस
स्थान पर बड़ा गुरूद्वारा है, वहाँ पर आकर तप करते थे। यहाँ पहले रोड थी, गुरू
महाराज जी ने यहाँ पर बाग लगवाया। जिसका नाम अब गुरू का बाग है।
1466. गुरूद्वारा श्री गुरू का महल साहिब जी, जो श्री अमृतसर
दरबार साहिब जी के पास है, किस गुरू से संबंधित है ?
1467. गुरूद्वारा श्री गुरू की वडाली साहिब जी किस गुरू से
संबंधित है और कहाँ पर स्थित है ?
1468. बाबा दीप सिंह जी शहीदी स्थान कहाँ पर स्थित है ?
1469. बाबा दीप सिंह जी का जिस स्थान पर अन्तिम सँस्कार किया
गया था, वहाँ पर कौनसा गुरूद्वारा साहिब जी स्थित है और कहाँ पर है ?
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गुरूद्वारा बाबा दीप सिंघ साहिब जी अन्तिम सँस्कार स्थान (शहीदां
साहिब), चटटीविंड गेट, तरनतारन रोड, जिला श्री अमृतसर साहिब जी, पँजाब
1470. गुरूद्वारा श्री भाई 'मंझ दा खूह' साहिब जी किस स्थान
पर स्थित है ?
1471. 'भाई मंझ' का पहला नाम क्या था ?
1472. भाई तीरथा जी का नाम भाई मंझ कैसे पड़ा ?
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एक दिन भाई तीरथा लँगर के लिए लकड़ियों का गटठा लेकर जँगल
में से जा रहे थे। अँधेरी चलने के कारण वो एक कुँए में गिर गये। गुरू जी
अर्न्तयामी थे, उन्हें ये बात मालूम हो गयी। गुरू जी सेवकों समेत उस स्थान पर आ
गये और भाई तीरथा को हुकुम दिया कि आप बाहर आ जाओ, लकड़ियों को कुँए में ही फैंक
दो, पर भाई तीरथा जी ने विनती की, कि लकड़ीयाँ गीली हो जायेंगी और लँगर का काम
नहीं चल पायेगा। सेवकों ने पहले लकड़ियों बाहर निकाली, फिर भाई तीरथा जी को बाहर
निकाला। गुरू जी ने भाई तीरथा जी को अपने गले से लगा लिया और बोले– (मंझ पिआरा
गुरू को, गुरू मंझ पिआरा ।। मंझ गुरू का बोहिथा जग लंघणहारा ।।) गुरू जी बोले
कि अब तु तीरथा नहीं है। तु मंझ है, बोहिथा है। तेरा नाम अमर रहेगा।
1473. गुरूद्वारा श्री जन्म स्थान गुरू अमरदास साहिब जी कहाँ
स्थित है ?
1474. गुरूद्वारा माता कौलसर साहिब जी कहाँ स्थित है ?
1475. गुरूद्वारा माता कौलसर साहिब जी का इतिहास क्या है ?
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यह स्थान माता कौलसर की याद में है, जो एक धार्मिक मुस्लिम
औरत थी। यह लाहौर के काजी की बेटी थी, जो इन्हें गुरू जी कि सतसँग में जाने से
रोकता था। साँईं मियाँ मीर जी ने इन्हे गुरू हरगोबिन्द साहिब जी की सुरक्षा में
छोड़ दिया था। माता जी ने अपना जीवन सेवा और सिमरन, परमात्मा की भक्ति में लगाया।
गुरू जी ने माता जी को वरदान दिया कि हर कोई उन्हें युगों तक याद रखेगा। और
उन्होंने उनकी जिवित अवस्था में ही कौलसर सरोवर का निर्माण करवाया था।
1476. गुरूद्वारा श्री अटारी साहिब जी पँजाब मे कहाँ स्थित
है ?
1477. गुरूद्वारा श्री अटारी साहिब जी किस गुरू से संबंधित
है ?
1478. किस स्थान पर 1604 ईस्वी में पाँचवें गुरू श्री गुरू
अरजन देव जी अपने सुपुत्र श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी की बारात लेकर आये थे। उनके
साथ बाबा बुड्डा जी, भाई गुरदास जी, भाई भाहलो जी, भाई शालो जी, बाबा बीधिचन्द जी
भी थे।
1479. गुरदुआरा श्री भण्डारा साहिब जी पँजाब में कहाँ पर
स्थित है ?
1480. गुरूद्वारा श्री भण्डारा साहिब जी का क्या इतिहास है ?
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जब बाबा बुड्डा जी अपनी सँसार की दिव्य यात्रा पूरी करके
जोती-जोत समा गये, तो श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी उनको अन्तिम विदाई देने के
लिए उनकी शोभा यात्रा में शामिल होने के लिए गये। गुरू जी ने जिस स्थान पर अपना
घोड़ा बाँधा, वहाँ पर गुरूद्वारा श्री सुखा जी साहिब सुशोभित है। फिर गुरू जी
पैदल चलकर इस स्थान पर आये और शोभा यात्रा में अर्थी को कँधा दिया।