1421. 'अंजुलीआ' बाणी का भाव अर्थ क्या है ?
1422. 'मुंदावणी' शबद किस गुरू का है ?
1423. 'मुंदावणी' शबद श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में किस अंग
पर दर्ज है ?
1424. 'मुंदावणी' शबद का भाव अर्थ क्या है ?
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भारतीय परम्परा के अनुसार किसी बड़े राजा-महाराजा को भोजन
छकाने (खिलाने) से पूर्व उसके लिए तैयार किए भोजन को किसी खास बर्तन में डालकर
मुन्द दिया जाता था। मुन्द का भाव सील करना था ताकि उसके भोजन में मिलावट न हो
सके। श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी रूपी थाल सत्य, सँतोष व विचार से परोस दिया है
और इसे तैयार करते समय अमृत नाम का प्रयोग किया गया है। कोई भी जिज्ञासु इस
अमृत रूपी थाल को बिना किसी भय के भुँच सकता है, भाव सहज रूप से इसका मँथन करके
प्रभु एँव मनुष्य के बीच की दूरियाँ हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त हो सकती हैं।
प्रभु और मनुष्य की दूरी खत्म होने से गुरमति का असली प्रसँग स्थापित हो जाता
है।
1425. 'राग माला' श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी के किस अंग पर
सुशोभित है ?
1426. 'राग माला' का क्या अर्थ है ?
1427. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में 'महत्वपूर्ण शीर्षक'
कौन कौन से हैं ?
1428. 'धुनी' का शाब्दिक अर्थ क्या है ?
1429. पँचम पातशाह श्री गुरू अरजन देव साहिब जी ने श्री 'आदि
ग्रँथ' साहिब जी के सम्पादन के समय कितनी ऐसी 'वारें' चुनी जिनके ऊपर गायन का विधान
दर्ज किया है। इन 'धुनियों' के ऊपर ही छठे पातशाह गुरू हरिगोबिंद साहिब जी ने
रबाबियों से 'वारों' का गायन करवाकर सिक्खों में वीर रस पैदा किया ?
1430. 9 'धुनियाँ' कौन सी हैं ?
1431. 'पउड़ी' क्या है ?
1432. भाई गुरदास जी की वारों के छंत भी किस नाम से ही
प्रसिद्ध हैं ?
1433. 'पड़ताल' का संबंध किससे है ?
1434. 'पड़ताल' का क्या भाव है ?
1435. 'घर' का संबंध किससे है ?
1436. श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में शब्दों के शीर्षक पर आए
'घरु' से क्या भाव है ?
1437. 'रहाउ' को समझाइये ?
1438. 'रहाउ दूजा' को समझाइये ?
1439. 'जति' को समझाइये ?
1440. महत्वपूर्ण शीर्षकों के इलावा श्री गुरू ग्रंथ साहिब
जी में कुछ अन्य शीर्षक भी प्रयोग किए गए हैं, वो कौन से हैं ?