1361. ऐतिहासिक प्रसँग में 'करहले' से क्या तात्पर्य है ?
1362. 'करहले' बाणी का भाव अर्थ क्या है ?
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इसका भाव यह है कि जैसे व्यापारियों का कोई और ठिकाना नहीं
होता, घूमते-घूमते वे अपनी ज़िन्दगी बसर करते हैं, इसी प्रकार मनुष्य जब परमात्मा
के गुणों का धारणी नहीं बनता, अपने मन के पीछे चलता है तो उसका भी ठिकाना एक नहीं
रहता। वह आवागन में उलझ जाता है क्योंकि मन का चँचल स्वभाव उसे उसी तरह उलझाए
रखता है जैसे व्यापारी थोड़े से लाभ के पीछे और आगे से आगे बढ़ता जाता है। यह रचना
स्पष्ट करती है कि ज़िन्दगी लालच नहीं है, ज़िन्दगी 'मन तूँ जोति सरूपु है आपणा
मुलु पछाणु' है जिसने मूल पहचान लिया, उसका आवागवन मिट गया। इच्छाओं पर काबू
पाना और परमात्मा से एकसुरता ही ज़िन्दगी का असल सच है।
1363. 'सुखमनी' बाणी किसकी रचना है ?
1364. 'सुखमनी' श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में कितने अंग पर
दर्ज है ?
1365. 'सुखमनी' श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में किस राग में
है ?
1366. 'सुखमनी' साहिब की बाणी में कितनी पउड़ियाँ हैं ?
1367. 'सुखमनी' साहिब की बाणी में कितनी असटपदियाँ हैं ?
1368. 'सुखमनी' का शाब्दिक अर्थ क्या है ?
1369. 'सुखमनी' बाणी का मुख्य भाव क्या है ?
1370. 'बिरहड़े' बाणी श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में किस अंग
पर दर्ज है ?
1371. 'बिरहड़े' बाणी किसकी रचना है ?
1372. 'बिरहड़े' बाणी किस राग में है ?
1373. 'बिरहड़े' बाणी का भाव क्या है ?
1374. 'अलाहणीआ' शीर्षक के अधीन किन बाणीकारों की बाणी है ?
1375. भारतीय परम्परा में 'अलाहुणियों' का प्रयोग किसके लिए
होता था ?
1376. गुरू साहिबान जी ने अलाहणीआ शीर्षक के अर्न्तगत
परम्परागत रवायत को अस्वीकार करते हुये किस नई सोच को जन्म दिया ?
1377. गुरू साहिबान ने 'अलाहणीआ' शीर्षक के अर्न्तगत क्या
सँकेत किया है ?
1378. 'आरती' किस गुरू साहिबान की रचना है ?
1379. 'आरती' बाणी का क्या इतिहास है ?
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'जन्मसाखी' के अनुसार श्री गुरू नानक साहिब जी अपनी उदासियों
के दौरान जब जगन्नाथपुरी पहुँचे तो वहाँ मन्दिरों में एक खास प्रतीक रूप में की
जाती आरती को नकारते हुए कुदरती रूप में हो रही आरती का वर्णन किया। असल में
वैदिक परम्परा के अनुसार यह देवता को खुश करने की विधि है। गुरू साहिब जी ने इस
बाणी में बताया कि कुदरत के इस विलक्षण प्रसार में सारी कायनात उस परमात्मा की
आरती कर रही है, केवल इसको देखने वाली आंखों की आवश्यकता है।
1380. 'आरती' का शाब्दिक अर्थ क्या है ?