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1281. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में कितने काव्य रूपों का प्रयोग किया गया है, उनके नाम बतायें ?

  • 1. पदा
    2. असटपदी
    3. सोलहे
    4. छंत
    5. सलोक
    6. वार
    7. मंगल
    8. थिती व थिंती
    9. दिन-रैनि
    10. वार सत
    11. रुती
    12. बारह माहा
    13. पटी
    14. बावन अखरी
    15. सदु
    16. काफी
    17. डखणा
    18. गाथा
    19. फुनहे
    20. सलोक सहसकृति
    21. सलोक वारां ते वधीक

1282. पदा किसे कहते हैं ?

  • आम करके छंत के एक भाग को ही पदा कहा जाता है। गुरूबाणी में पदे का प्रयोग बँद के लिए भी किया गया है। असल में जो भी काव्य रूप मात्रा के नियम में आ जाता है, उसे "पद" की सँज्ञा दी जाती है।

1283. 'दुपदे', 'तिपदे', 'चउपदे' और 'पँचपदे' से क्या अभिप्राय है ?

  • दो बँद वाले शब्द 'दुपदे' तीन बँद वाले 'तिपदे' चार बँद वाले 'चउपदे' और पाँच बँद वाले शब्द को 'पँचपदे' का नाम दिया गया है।

1284. 'इकतुका' किसे कहते हैं ?

  • जिस शब्द में हरेक पद में मिलते तुकाँत वाली दो छोटी छोटी पँक्तियाँ हों, पर उन्हें इक्ट्ठे एक तुक की तरह बोलने से एक सम्पूर्ण विचार बनती हो, उसे 'इकतुका' कहा जाता है।

1285. 'तितुका' किसे कहते हैं ?

  • जिस शब्द में हरेक पदे में मिलते जुलते तुकाँत वाली तीन-तीन तुकें हों, उसे 'तितुका' कहा जाता है।

1286. 'असटपदी' क्या है ?

  • भारतीय काव्य रूपों में अष्टपदी का अपना विलक्षण महत्व है। गुरू पातशाह ने परम्परागत रूप को पूर्ण तौर पर नहीं अपनाया क्योंकि परम्परा में आठ पदों वाली कोई भी रचना अष्टपदी कहलाती है पर श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में इसके कई विलक्षण रूप हैं, इसीलिए कहा जाता है कि श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी ने परम्परा में से समझाने के लिए किसी रूप का प्रयोग किया है तो उसे उसी प्रकार अपनाने का प्रयत्न नहीं किया बल्कि उसे अपने अनुसार पेश किया है, जैसे श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में अष्टपदी दो पँक्तियों से लेकर आठ, दस और यहाँ तक कि बीस-बीस पदों वाली भी हैं। श्री गुरू ग्रँथ साहिब के प्रथम राग में श्री गुरू नानक साहिब जी एँव श्री गुरू अमरदास साहिब जी की अष्टपदियां तीन पँक्तियों में ही मिली हैं और पँचम पातशाह की सुखमनी साहिब में दस दस पँक्तियों वाले पदे भी हैं।

1287. 'सोलहे' किसे कहते हैं ?

  • आम तौर पर जो भी रचना 16 पदों वाली होती है उसे "सोलहा" कहा जाता है।

1288. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में 'सोलहे' को किस प्रकार दर्शाया गया है ?

  • गुरू साहिब के सम्पादन की विलक्षणता यह है कि उन्होंने इस बँधन को कई जगह स्वीकार नहीं किया क्योंकि श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में 9, 15 और यहाँ तक कि 21 पदों में भी 'सोलहे' को दर्ज किया गया है।

1289. 'सोलहे' बाणी की विषय वस्तु क्या है ?

  • इन बाणियों का विषय सँसार की उत्पति तथा उसके विकास से जुड़ा है और प्रभु की सृजना की हुई दुनियाँ की सुन्दरता का बहुत ही सुन्दर वर्णन भी है।

1290. 'छंत' क्या है ?

  • भारतीय परम्परा में इस काव्य रूप को आम करके औरतों के गीतों से जोड़ा गया था और इन गीतों का सम्बन्ध प्रेम या विरह के साथ था।

1291. 'छंत' को श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में किस प्रकार पेश किया गया है ?

  • गुरू पातशाह जी ने यही प्यार का प्रकटाव परमात्मा से करके जीव को स्त्री रूप में पेश किया जो अपने प्रेमी से बिछुड़ी हुई है और उसमें लीन होने के लिए तत्पर है। उसकी याद उसे व्याकुल करती है और व्याकुलता में वह अपने प्रीतम की सेजा को मानने के लिए उसका इन्तजार करती है।

1292. गुरबाणी में 'पदों' के पश्चात् सबसे ज्यादा रूप किसके हैं ?

  • 'सलोकों' के

1293. 'सलोक' क्या है ?

  • भारतीय परम्परा में किसी की उत्पति में की गई बात या बोले गये शब्दों को 'श्लोक' कहा जाता है जैसे यश के छंत को 'श्लोक' कहते हैं। यह बहुत ही पुराना काव्य रूप है और श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में इसका बहुत खूबसूरती से ब्यान किया गया है।

1294. काव्य रूप के अन्तर्गत 'वार' किसे कहते हैं ?

  • पँजाबी भाषा का यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण काव्य रूप है। इसके शाब्दिक अर्थ हैं जोशीलगी, जिसमें किसी सूरमे-योद्धाओं की बहादुरियों का वर्णन किया गया हो। ये वीर-रस प्रधान रचनाएँ हैं।

1295. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में 'वारों' की कितनी सँख्या है ?

  • 22

1296. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब में 22 'वारों' में से 21 'वार' गुरू साहिबानों की हैं, बाकी 1 'वार' किसकी है ?

  • गुरू घर के कीर्तनकार 'भाई सता व बलवंड' की रामकली राग में है।

1297. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब में किस किस गुरू साहिबानों की वारें हैं ?

  • 4 गुरू साहिबानों की :
    गुरू नानक देव जी
    गुरू अमरदास जी
    गुरू रामदास जी
    गुरू अरजन देव जी

1298. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब में श्री गुरू नानक देव जी की कितनी 'वारें' हैं और किस किस राग में हैं ?

  • 3 वारें :
    राग माझ
    राग आसा
    राग मलार

1299. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब में श्री गुरू अमरदास जी की कितनी 'वारें' हैं और किस किस राग में हैं ?

  • 4 वारें :
    राग गूजरी
    राग सूही
    राग रामकली
    राग मारू

1300. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब में श्री गुरू रामदास जी की कितनी 'वारें' हैं और किस किस राग में हैं ?

  • 8 वारें :
    सिरी राग
    राग गउड़ी
    राग विहागड़ा
    राग वडहंस
    राग सोरठ
    राग बिलावल
    राग सारंग
    राग कानड़ा

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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