661. श्री बोता सिंह और गरजा सिंह सिंघ कहाँ के निवासी थे ?
662. श्री बोता सिंघ और गरजा सिंघ किस उदेश्य से घर से निकले थे
?
663. बोता सिंघ और गरजा सिंघ ने जरनैली सड़क पर एक उचित स्थान
ढूँढ लिया, यह थी नूरदीन की सरां जिसे उन्होंने अपना बसेरा बना लिया और वहीं पास
में एक पुलिया पर उन्होंने एक चुँगी बना ली, जिस पर वे दोनों मोटे सोटे (लट्ठ) लेकर
पहरा देने लगे और सभी यात्रियों से चुँगीकर (टैक्स) वसूल करने लगे। उन्होंने क्या
घोषणा की ?
664. बोता सिंघ ने एक पत्र राज्यपाल जक्रिया खान को लिखा। पत्र
में जक्रिया खान पर व्यँग्य करते हुए, बोता सिंह ने उसको एक महिला बताते हुए "भाभी"
शब्द से सम्बोधन किया, पत्र में क्या लिखा था ?
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चिट्ठी लिखतम सिंह बोता
हाथ में सोटा, विच राह खलोता
महसूल आना लगये गड्डे नूं, पैसा लगाया खोता।
जा कह देना भाभी खानों नूं, ऐसा कहता है सिंह बोता।
665. जकरिया खान ने जलालुद्दीन के नेतृत्त्व में कितने सैनिक
देकर बोता सिंघ और गरजा सिंघ के पास भेजा ?
666. भाई बोता सिंघ और गरजा सिंघ किस प्रकार शहीद हुये ?
667. शहीद भाई तारू सिंघ जी का निवास स्थान कहाँ पर था ?
668. शहीद भाई तारू सिंघ जी की उम्र क्या थी ?
669. शहीद भाई तारू सिंघ जी के परिवार में कितने सदस्य थे ?
670. शहीद भाई तारू सिंघ जी का व्यक्तित्व कैसा था ?
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भाई तारू सिंह ने विवाह नहीं करवाया था, वह बहुत परिश्रमी
और दयालु प्रवृत्ति का व्यक्ति था। उसके यहाँ सदैव लँगर चलता रहता था, कोई भी
यात्री अथवा भूखा-प्यासा, जरूरतमँद बिना भेदभाव के भोजन प्राप्त कर सकता था।
671. भाई तारू सिंघ जी को किसने झूठी मनगढँत कहानी, जकरिया खान
को सुनाकर गिरफ्तार करवा दिया ?
672. भाई तारू सिंघ को क्यों गिरफ्तार किया गया ?
673. भाई तारू सिंघ जी को किस जेल रखा गया और क्या दबाव डाला गया
?
674. जकरिया खान ने जब भाई तारू सिंघ जी को इस्लाम कबूल करने के
लिए कहा, तब भाई जी का क्या जवाब था ?
675. जब भाई तारू सिंघ जी को जँजीरों से बाँध दिया गया। इस पर
तारू सिंह जी ने मन को एकचित कर प्रभु चरणों में प्रार्थना की कि हे प्रभु ! मेरी
सिक्खी केशों-श्वासों के साथ निभ जाये, अब तेरा ही सहारा है, तब क्या चमत्कार हुआ ?
676. जब शहीद भाई तारू सिंघ जी के बाल नहीं कटे, तब जकरिया खान
ने किसे बुलाया ?
677. भाई जी की खोपड़ी उतार दी गई और उन्हें लाहौर के किले के
बाहर नरवास चौक पर बैठा दिया गया। जब सुबह जकरिया खान वहाँ से निकला तो उसने पूछा
कि अभी तक जिन्दा हो, तो भाई तारू सिंघ जी ने क्या कहा था ?
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भाई तारू सिंघ जी ने जक्रिया खान से कहा कि "तुम्हारे साथ
दरगाह में हिसाब करना है, इसलिए तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हूँ, अतः तुम्हें
लेकर चलूँगा।" बस फिर क्या था, जक्रिया खान का पेशाब बन्द हो गया और पेट में
शूल उठने लगा। वह मारे दर्द के चिल्लाने लगा। उसका शाही हकीमों ने बहुत उपचार
किया परन्तु उसका दर्द बढ़ता ही चला गया।
678. जक्रिया खान ने भाई तारू सिंह के पास अपने प्रतिनिधि भेजे
और क्षमा याचना की। इस पर भाई जी ने उन्हें क्या कहा ?
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मेरे जूते ले जायें और जक्रिया खान के सिर पर मारे, पेशाब
उतरेगा, ऐसा ही किया गया। जैसे जैसे भाई जी के जूते से जक्रिया खान को पीटा जाता,
उसका पेशाब उतरता और पीड़ा कम होती, परन्तु जूते का प्रयोग बन्द करने पर पीड़ा
फिर वैसी हो जाती। अतः जक्रिया खान ने विवशता में कहा कि मेरे सिर पर तारू सिंह
का जूता जोर जोर से मारो, ताकि मुझे पेशाब के बँधन से पूर्ण राहत मिले। उसकी
इच्छा अनुसार पूरे वेग से उसके सिर पर जूतों की बोछार की गई। वैसे ही पूरी गति
के साथ मूत्र बन्धन टूटा और जक्रिया खान की पीड़ा हटती गई, परन्तु इसके साथ ही
जक्रिया खान के प्राण भी निकल गये। दूसरी ओर भाई तारू सिंह जी ने भी नश्वर देह
त्याग दी और गुरू चरणों में जा विराजे।
679. शहीद हकीकत राय जी का जन्म कब हुआ था ?
680. शहीद हकीकत राय जी के पिता जी का क्या नाम था ?