SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

3. जैदेव जी का राज कवि बनना

बँगाल रंगीलियों का देश है। राग एंव कविता भक्ति से छलकते दिल में बसते हैं। वहाँ रागियों, नृत्यकारों और कवियों का विशेष सम्मान किया जाता है। जैदेव भरपूर जवानी में थे कि उन्होंने भगवा चोला धारण कर लिया। भगवा धोती में वह सचमुच वैरागी साधू हो गए। अपनी रचित कविताओं को गाते फिरने लगे। जहाँ वह जाते वहीं लोगों की भीड़ एकत्रित हो जाती। उस समय बँगाल के राजा लक्ष्मण सैन थे। उन्होंने जब भक्त जैदेव जी की बहुत महिमा सुनी तो उन्होंने आदेश दिया कि जैदेव जी जहां पर भी हों उन्हें तुरन्त उनके समक्ष प्रस्तुत किया जाए। राजा ने उन्हें अपना राज कवि बना लिया। राजा के पास ओर भी विद्वान थे। जैदेव जी को भी उनके समूह में सम्मिलित कर लिया गया। परन्तु उन्होंने साधू वेष का त्याग नहीं किया। हाँ यह जरूर हुआ कि खादी की धोती के विपरीत उन्हें रेशम की धोती प्राप्त हो गई। राज दरबार में रहते हुए उन्होंने सँस्कृत भाव में विशेष इजाफा किया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.