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1. जन्म और बचपन

भक्त जैदेव जी बँगाल के भक्त थे। वह ईस्वीं की ग्यारहवीं सदी में प्रकट हुए। भक्त जी का जन्म केंदरी (ग्राम कन्टूली) जिला बीर भूमि (बँगाल) में हुआ। माता का नाम बाम देवी तथा पिता जी का नाम भोज देव जी था वह जाति के ब्राहम्ण और उनके पिता जी सूक्ष्म बुद्धि वाले थे। उन्होंने जैदेव जी को सँस्कृत की पाठशाला में पढ़ने भेजा। जैदेव जी को सँस्कृत विशिष्ट का ज्ञान हो गया। बचपन से ही वह बहुत बुद्धिमान और तीक्ष्ण बुद्धि वाले थे। कविता और राग में विशेष रूचि थी। पर भगवान की लीला, जो नेक पुरूष होते हैं उन्हें कष्ट भी सहारने पड़ते हैं। जैदेव जी के माता पिता परलोक गमन कर गए। माता पिता की असामयिक मृत्यु ने उनके कोमल दिल को अति प्रभावित किया। एकाकीपन और वियोग में वह गीतों की रचना कर उन्हें गाते और रोते रहते। इन दिनों में दुख और पीड़ा भरी कविताएँ तो अनेकों रची परन्तु विद्या ग्रहण करना त्यागा नहीं। विद्या से उन्हें प्यार हो गया और इसे उन्होंने सच्चा मित्र बनाया। विद्या गुरू का भी उनसे विशिष्ट स्नेह था, इसलिए विद्या में कभी बाधा न पड़ी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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