23. मुत्यु कभी न भूलें
जिन्होंने संतों, नेक पुरूषों एँव पैगम्बरों की संगत की है उन्हें ज्ञान हो गया है
कि मृत्यु एक सच है जिसके उपरान्त खुदा के दरबार में पहुँचकर सारे कर्मों का हिसाब
देना है। दुनिया में किए नेक कर्म ही दरगाह में गवाही देंगे। पर बहुत से लोग ऐसे
हैं जो बेपरवाही से जी रहे हैं। चँचल मन के वश होकर समय व्यर्थ गवाँ रहे हैं। उनके
कुकर्म उलटी गवाही देंगे:
साढ़ै तै मण देहुरी चलै पाणी अंनि ।।
आइओ बंदा दुनी विचि वति आसूणी बंन्हि ।।100।। अंग 1383
अर्थ: पुराने मनुष्यों ने हिसाब लगाया था कि साधारण आदमी का भार
साढ़े तीन मन होता है। शरीर पानी एँव अनाज के आसरे चलता है। मनुष्य आया तो मुसाफिर
बनकर है पर यही रह जाने की आस लगाए बैठा है। फरीद जी कहते हैं कि सब कुछ जानते हुए
भी समझने का प्रयत्न नहीं करता।
मलकल मउत जां आवसी सभ दरवाजे भंनि ।।
तिन्हा पिआरिआ भाईआं अगै दिता बंन्हि ।।
वेखहु बंदा चलिआ चहु जणिआ दै कंन्हि ।।
फरीदा अमल जि कीते दुनी विचि दरगह आए कंमि ।।100।। अंग 1383
अर्थ: जब धर्मराज के यमदूतों ने आत्मा को लेने आना है तो सभी
दरवाजे तोड़कर आ जाना है। वह सगे-संबंधी, भाई-बहन जो इतना स्नेह रखते हैं उन्हीं ने
आगे भेज देना है। सारी दुनिया ने देखना है कि वह मनुष्य चार कँधों पर उठाया जा रहा
है, जो अच्छे कर्म किए हैं वही काम आते हैं, मृत्यु सच है। कोई यहाँ नहीं रह जाएगा
और हिसाब भी अवश्य होगा। मौत से जीव भयभीत रहते हैं, कीड़े-मकौड़े भी डरते हैं,
पशु-पक्षी भी डरते हैं, परन्तु मौत ने आना है, जैसे विद्याता ने समय लिखा है वैसे
मरना जरूर है। फरीद जी फरमाते हैं कि काल महाबली के भारी हाथ जब किसी पर टिकते हैं
तो कुछ पता नहीं चलता और ऐसी अवस्था हो जाती है:
फरीदा दरीआवै कनै बगुला बैठा केल करे ।।
केल करेदे हंझ नो अचिंते बाज पए ।।
बाज पए तिसु रब दे केलां विसरीआं ।।
जो मनि चिति न चेते सनि सो गाली रब कीआं ।।99।। अंग 1383
अर्थ: बगला सरोवर के किनारे समाधी लगाकर बैठा था कि मछलियों को
खा सके। पर काल रूपी बाज ने ऐसी झपट मारी कि उसका जीवन समाप्त हो गया। सभी इच्छाएँ
खत्म हो गईं। वह बाज परमात्मा का था, ऐसा होगा यह बगले के मन में न आया। बगला रूप
मनुष्य कई योग्य-अयोग्य इच्छाओं का भार सिर पर उठाए घूमता है। किसी को मारता, किसी
को लूटता, किसी को नीचा दिखाने के लिए शारीरिक बल का उपयोग करता, पर अपने दम का उसे
ज्ञान नहीं। मौत को तो वह भूल जाता है। बाबा शेख फरीद जी की बाणी का गहन अध्ययन करें
तो सच ही सच नजर आता है। वर्तमान समय में शरीर को रोग मुक्त करने के लिए आधुनिक
औषधियाँ का जो अविष्कार हुआ है, धनवान स्त्री पुरूष उनका उपयोग करके लम्बी आयु की
आशा करते हैं। कई हिन्दूस्तान को छोड़कर इटली, जर्मनी और इंग्लैण्ड जाते हैं। पर
ईश्वर ने नया ढँग सोचा है, वह है दिल की धड़कन रूक जाना, हार्ट फेल आदि।
फरीदा महल निसखण रहि गए वासा आइआ तलि ।।
गोरां से निमाणीआ बहसनि रूहां मलि ।।
आखीं सेखा बंदगी चलणु अजु कि कलि ।।97।। अंग 1382, 1383
अर्थ: अमीरों ने सुख प्राप्त करने के लिए जो महल तैयार करवाए थे
वह सब तो खाली रह गए। रूहों ने तो शरीरों के साथ कब्र में ही डेरा लगा लिया। अपने
मित्र को सम्बोधित करते हुए फरीद जी कहते हैं, शेख जी बँदगी करनी चाहिए, पता नहीं
मौत ने कब आना है। मौत को याद रखना चाहिए।