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6. बाबा फरीद जी का परिवार

श्री गुरू नानक देव जी ने गृहस्थ धर्म को महानता दी है, गृहस्थ धर्म मनुष्य के जीवन में प्रधान है। साधू, संत और योगी यदि गृहस्थी नहीं हैं तो उनके मन में कभी भी वासना जन्म ले सकती है। पूर्ण भक्ति तो पत्नी और बाल बच्चों के साथ ही हो सकती है। इस्लाम ने भी गृहस्थ को अच्छा बताया है। सूफी फकीर पहले तो गृहस्थ त्यागी थे पर धीरे-धीरे गृहस्थ को प्रधानता देने लगे। बाबा फरीद जी के पूर्वज गृहस्थी रहे पर बँदगी करना उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य रहा और इसके कारण ही वे प्रसिद्ध हुए। शेख फरीद जी का बड़ा परिवार होने के कारण ही उन्हें “आदम सानी“ कहा जाता था। शेख फरीद जी की माता मरीअम जी की आयु बहुत लम्बी थी। खुदा-प्रस्त बँदगी करने वाली नेक और पाक-दामन मरीअम समस्त परिवार को पालती रही। शेख फरीद जी तो मुर्शिद के रँग में ही रँगे रहते थे।
 

बाबा जी की पत्नियाँ:

1. पहली पत्नी हजरबा थी जो दिल्ली के (गुलाम बादशाह) बल-बन की पुत्री थी।
2. दूसरी शारदा और
3. तीसरी शकर थी।

बाबा जी के पुत्र:
1. शेख शहाब-उ-दीन
2. शेख बदर-उ-दीन
3. शेख निजाम-उ-दीन
4. शेख यकूब
5. शेख अब्दुल्ला

बाबा जी की पुत्रियाँ:
1. बीबी फातिमा मौलाना
2. बीबी फातिमा मसतूरा
3. बीबी शरीफां

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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