2. माता मरीअम जी के चमत्कार
एक बार माता मरीअम जी के घर पर चोर आ गया। भीतर अन्धेरा होने के कारण वह कुछ भी
देखने में असमर्थ था। उसने दीपक जलाकर रोशनी कर ली। उसे घर का सामान नजर आने लगा पर
दो क्षण के बाद ही उसकी दृष्टि खत्म हो गई। वह अचानक ही अन्धा हो गया। वह समझ गया
कि वह किसी असाधारण व्यक्ति के घर में है। माता मरीअम जी सुबह उठकर प्रभु की भक्ति
में लीन हो जाती थीं। उस दिन वह उठीं तो दीपक जलाते ही उसे चोर की उपस्थिति का आभास
हुआ। उसने चोर से अति धैर्य से पूछा: हे भाई ! तम कौन हो ? यहाँ क्यों बैठे हो ?
चोर ने कहा: माता जी ! मैं चोर हूँ, चोरी करने आया था पर घर के भीतर आते ही मैं अँधा
हो गया। माता जी, यदि मेरी आँखों की रोशनी वापिस आ जाए तो प्रण लेता हूँ कि आजीवन
छलकपट अथवा चोरी नहीं करूँगा। उस समय माता मरीअम ने प्रभु से चोर की दृष्टि लौटाने
के लिए सच्चे मन से प्रार्थना की। परमात्मा ने उसकी सुन ली और उस चोर को दिखने लग
गया। उसने माता जी के चरण पकड़ लिए। मरीअम ने उसको ऐसे आशीश दी जैसे वह उसका अपना
पुत्र हो, जा हक की कमाई का खाना और उस अल्लाह की इबादत करना। वह चोर सुधर गया और
मस्जिद में सेवा करने लगा।