SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

14. धरती बोली मैं फरीद जी की हूँ

फरीद जी की महिमा एँव महानता दूर-दूर तक फैल गई तो फरीद जी के दरबार में सँगत बढ़ गई। आए हुए लोगों का सत्कार करने के लिए फरीद जी ने एक धरती का टुकड़ा खरीदा। उनके विरोधियों को यह बात हजम न हुई। उन्होंने जमीन के एक हिस्सेदार को बहला-फुसलाकर यह दावा करवा दिया कि वह जमीन धोखे से खरीदी गई है। हाकिम ने फरीद जी को हाजिर होने के लिए सँदेश भेजा। फरीद जी ने विनती की कि वह स्वयँ आकर धरती से पूछ लें कि जमीन किसकी है। हाकिम ने फरीद जी महिमा सुनी थी, करामातों की चर्चा बहुत थी। उसने वहाँ पर जाकर फैसला करने की दलील मान ली और यह समाचार चारों और फैल गया। सैकड़ों लोग एकत्रित हो गए। हाकिम की उपस्थिति में धरती को आवाज लगाई गई: “हे धरती के टुकड़े ! ऊँची आवाज में आप ही बताएँ कि तेरा मालिक कौन है ? यह आवाज देने के पश्चात सारे धैर्य के साथ उत्तर की प्रतीक्षा करने लगे, पहले कड़-कड़ की आवाज हुई, जैसे कोई चीज फटती है। तभी फिर आवाज आई: “मेरा मालिक शक्करगँज, मेरा मालिक शक्करगँज, मेरा मालिक शक्करगँज ! इस प्रकार तीन बार आवाज आई और सभी लोगों ने स्पष्ट सुनी तो उसी समय वह फरीद जी की प्रशँसा करने लगे।  हाकिम ने फरीद जी से माफी माँगी और कहा कि: फरीद जी ! माफ कीजिए, आपको कष्ट देना पड़ा। फरीद जी ने कहा: जैसे उस खुदा का हुक्म हो वैसा ही होता है। आप दुनियावी सरकार के सेवक हो, मैं खुदा का सेवक हूँ, मेरी सरकार वह खुदा परवरदिगार है। फरीद जी ने यह भी कहा:

फरीदा इकना मति खुदाइ दी इकना मंग लई ।।
इक दिती मूल न घिंनदे जिउ पत्थर बूंद पई ।।

अर्थ: सँसार में जितने भी इन्सान हैं, सबकी अक्ल एक जैसी नहीं। कइयों को तो खुदा ने अच्छी अक्ल दी हैं, वह सब कार्य सोच समझकर भले ही करते हैं। किसी का दिल नहीं दुखाते, कई भले लोग अच्छे इन्सानों की सँगत से ज्ञान हासिल करते हैं, पर ऐसे लोग भी हैं जो किसी की अच्छी मति ग्रहण नहीं करते और पत्थर जैसा दिल दिमाग रखते हैं। जैसे पत्थर पर पड़ी बूँद फिसल जाती है, वैसे ही उनके पथरीले दिलो दिमाग में कोई अच्छी बात नहीं टिकती। वह एक कान से सुनकर दूसरे कान से शुभ मति निकाल देते हैं। इसलिए मनमतियों पर क्रोधित होना उचित नहीं। ऐसा उपदेश सुनकर हाकिम बहुत प्रसन्न हुआ और पाकपटन से चला गया। धरती के स्वयँ बोलने की खबर चारों और फैल गई और फरीद जी की गरिमा बढ़ गई। उस धरती के टुकड़े पर फरीद जी ने अपने परिवार और सेवकों के लिए कच्चे कोठे बनवाए। आपने पक्की रिहाइश पाकपटन में ही कर ली।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.