42. दुखियारा “केसो“
जिला गुरदासपुर में “तारा“ नाम का एक नगर है। वहाँ पर एक केसो नाम का खत्री रहता
था, उसका खून बिगड़ जाने की वजह से उसे कोहड़ रोग हो गया, जिस कारण वह हर समय अत्यँत
दुखी रहने लगा। घर के सारे जीव उससे घृणा करने लगे। एक दिन उसने अपनी स्त्री से
स्नान करने के लिए पानी माँगा तो उसने आगे कई बातें सुनाई। जिससे वह बहुत दुखी हुआ
और कहने लगा: जगत महि झूठी देखी प्रीति ।। वह बहुत ही दुखी दिल से अपने घर से निकला
और उसने विचार किया कि अब जीने का कोई मतलब नहीं मरना ही बेहतर है। इसी विचार से
उसने कुँऐं में छलाँग लगाकर अपने जीवन को समाप्त करने का इरादा कर लिया। वो एक कुँऐं
पर जाकर खड़ा हो गया और छलाँग मारने ही वाला था कि तभी एक तरफ से आवाज आई ठहर जा !
केसों ने कहा: महाश्य ! आपने बहुत भारी पाप किया है, मैं इस सँसार के दुखों से
छुटकारा पाने के लिए कुँऐं में छलाँग लगाने जा रहा था, परन्तु आपने आवाज लगाकर इसमें
रूकावट डाल दी है। आवाज लगाने वाला बोला: भले इन्सान ! आत्महत्या करना तो बहुत भारी
पाप है। अगर तूँ ऐसा करके शरीरक तौर पर सँसारिक दुखों से छुटकारा पा भी लेता है तो
भी तेरी आत्मा को तो सजा पानी ही है। केसो ने कहा: महाश्य जी ! लोग मुझसे इस रोग के
कारण घृणा करते हैं और अपने पास भी खड़ा नहीं होने देते। मैं अत्यँत दुखी हूँ। अजनबी
ने कहा: महाश्य जी ! अगर आपको किसी के यहाँ टिकाना नहीं मिलता तो घुमाण नगर में एक
महापुरूष “भक्त नामदेव जी“ हैं, उनके पास जा, वह तेरा दुख दूर कर देंगे। यह सुनकर
वह दुखी भक्त नामदेव जी की शरण में आ गया और अपना दुख रो-रोकर सुनाया। भक्त नामदेव
जी ने कहा: भले इन्सान ! अपने दुखों का खात्मा करने के लिए उस परमात्मा का नाम जपा
कर, तेरे सारे दुख दूर हो जाएँगे। साथ ही इस छपड़ी अर्थात सरोवर या तालाब में स्नान
किया कर। वह दुखियारा हुक्म मानकर हरि भजन में लग गया और उस सरोवर में स्नान करने
का नितनेम बना लिया। थोड़े ही दिनों में उसका सारा दुख कट गया और वह सुखी जीवन
व्यतीत करने लगा।