41. धुमाण में दर्शन
भट्टीवाल से चलकर भक्त नामदेव जी जिला गुरदासपुर में आ टिके। भक्त नामदेव जी ने एक
जँगल में डेरा लगाया। उस समय यहाँ पर कोई गाँव नहीं था। यहाँ पर किसी गाँव के उजड़े
हुए लोग आए और उन्होंने भक्त नामदेव जी को देखकर उनके दर्शनों के लिए ठहर गए।
महाराज ने उनका दुखड़ा सुनकर कहा आप सब लोग यहीं पर टिक जाओ और अपने घर बनाकर रहने
लग जाओ। परमात्मा आपकी सहायता करेगा और बरकत डालेगा। उन्होंने पहले भक्त नामदेव जी
की कुटिया बनाई और फिर अपने मकान बनाए। भक्त नामदेव जी जब गाँव भट्टीवाल से चले थे
तो अपना रहने का कोई निश्चित ठिकाना बताकर नहीं आए थे। उनके प्रेम में बँधा हुआ एक
श्रद्धालू प्रेमी “जल्लो“ जी गाँव-गाँव उन्हें ढुँढता हुआ फिर रहा था। जब उसे पता
लगा कि भक्त नामदेव जी तो घुमाण में ठहरे हुए हैं तो वह वहाँ पर उनके दर्शन करने के
लिए पहुँच गया और दर्शन करके अपने मन की प्यास बुझाई और यहीं पर अपने लिए एक और
कुटिया बनाकर रहने लगा। अब भक्त नामदेव जी की, उम्र ज्यादा होने के कारण शरीर कमजोर
हो रहा था पर मन उसी प्रकार परमात्मा के रँग में रँगा हुआ था। वहीं “भूतविँड“ में
एक श्रद्धालू “बहुर दास“ जिसे भक्त नामदेव जी ने जीवनदान दिया था। वह भक्त नामदेव
जी के हुक्म के इन्तजार में धड़ियाँ गिन रहा था और उनके दर्शन करने के लिए उतावला हो
रहा था। इधर जैसे-जैसे प्रेमी “बहुर दास“ दर्शनों के लिए तरसता था। वैसे-वैसे भक्त
नामदेव जी को भी अपने प्यारे से मिलने की तीव्र इच्छा जागृत होती थी। एक दिन भक्त
नामदेव जी ने अपने सेवक “जल्लो“ जी को हुक्म दिया कि गाँव “भूतविँड“ में हमारा
श्रद्धालू प्रेमी “बहुर दास“ रहता है। आप जाकर उसे ले आओ। जल्लो उसी समय गया और
बहुर दास को ले आया। इसके बाद बहुर दास और उसकी माता जी ने भक्त नामदेव जी के चरणों
में ही रहना शुरू कर दिया। इस गाँव में जल की बहुत कमी थी। तालाब आदि सब सूख चुके
थे और कुँओं आदि का पानी बहुत नीचे जा चुका था। जानवरों को पानी पिलाने के लिए बहुत
दूर जाना पड़ता था और अपने पीने के लिए भी पानी बहुत दूर से भरना पड़ता था। गाँव वालों
ने एकत्रित होकर भक्त नामदेव जी के आगे विनती की कि हे महाराज जी ! हमारे इस पानी
के संकट को दूर करो। भक्त नामदेव जी ने कहा कि यहाँ पर एक तालाब खोदो, जब बरसात होगी
तो उसमें पानी भर जाएगा, आप प्रयोग कर लेना। गाँव वालों ने कहा कि बरसात तो अभी काफी
समय के बाद होगी, तब तक हम तो पानी की तकलीफ से परेशान रहेंगे। इस पर भक्त नामदेव
जी ने कहा कि अच्छा ! उस सर्वशक्तिमान यानि परमात्मा का सिमरन करके आज ही खुदाई शुरू
कर दो, तुम्हारे प्रयोग करने के लिए पानी अभी हो जाएगा। सभी ने जब हरि जाप करके
खुदाई की तो नीचे से अति निर्मल पानी निकल आया जो अति मीठा और ठंडा था। नगर निवासी
बड़े प्रसन्न हुए और पानी के दुख से छुटकारा पाकर भक्त नामदेव जी का गुणगान करने लगे।