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40. श्रद्धालू प्रेमी "लधा" जी

जिला गुरदासपुर के नगर “पालीवाल“ का एक खत्री “लधा“ नमक तेल की दुकान करता था। कई बाहरी गाँवों में भी सौदा बेचने के लिए जाया करता था। जब उसने लोगों से भक्त नामदेव जी का गुणगान सुना तो वह समय निकालकर भक्त नामदेव जी के दर्शन करने के लिए हाजिर हुआ और भक्त नामदेव जी के दर्शन करके उसका मन बहुत प्रसन्न हुआ और जब भक्त नामदेव जी ने अपने अमृतमयी उपदेशों की वर्षा की तो उसके मन के अन्दर प्रेम की लहर चल पड़ी। वह हाथ जोड़कर बोला: महापुरूष जी ! इस दास को कोई सेवा प्रदान करो। भक्त नामदेव जी ने कहा: ओ परमात्मा के प्यारे ! धर्म की किरत करो अर्थात धर्म की कमाई करो और हर समय उस परमात्मा का नाम सिमरन करो बस यही हमारी सेवा है। धर्मी लधो के मन में सेवा का उत्साह था पर वह कोई बहुत धनवान नहीं था, नमक और तेल बेचने वाला मामूली व्यापारी था, पर अपने सामर्थ अनुसार कोई सेवा करना चाहता था। इसलिए उसने यह मनसा धारण कर ली कि मैं रात के जलाने योग्य तेल रोज दे जाया करूँगा। उस दिन लायक तेल तो वह उसी समय दे गया और वह आगे से रोज तेल दे जाया करे और दर्शन भी कर जाया करे। एक दिन इसका सारा तेल बिक गया और जब यह भक्त नामदेव जी के डेरे के पास से निकला तो विचारने लगा कि खाली हाथ जाना ठीक नहीं इसलिए आज नहीं जाता और कल ही दर्शन करूँगा और दोनों दिनों का तेल भी दे आऊँगा। यह विचार करके वह भक्त नामदेव जी के डेरे के पास से निकल गया। इसको भक्त नामदेव जी ने देख लिया और दूर से ही आवाज दी। तो वह पास आया और चरण वन्दना करने लगा। भक्त नामदेव जी ने कहा: लधे ! क्या आज ऐसे ही दूर से निकल रहे थे ? लधा शर्मिंदा होकर बोलने लग: महाराज जी ! आज मेरा सारा तेल बिक गया था और कुप्पी खाली हो गई थी इसलिए मैंने खाली हाथ आना मुनासिब नहीं समझा इसलिए क्षमा चाहता हूँ। भक्त नामदेव जी ने कहा: लधे ! परमात्मा का नाम जपने वाले को कभी भी भरोसा नहीं छोड़ना चाहिए। तुम्हारी तेल की कुप्पी जरूर खाली हो गई है, परन्तु तुम नाम सिमरन करते हुए उस खाली कुप्पी को ही उस बर्तन में उलटा दो जिसमें तुम रोज उलटा देते हो। भाई लधा जी ने जब खाली तेल की कुप्पी रोज की तरह उस बर्तन में उलटाई जिसमें वह रोज उलटाते थे तो उस खाली कुप्पी में से उतना तेल निकल आया जितना वो रोज ही दिया करते थे। यह देखकर लधा जी हैरान रह गए और उनकी श्रद्धा और भी बढ़ गई। भक्त नामदेव जी ने कहा: लधा ! कोई भी अच्छा नियम बनाओ तो उसे कभी भी नहीं तोड़ो। परमात्मा पर पूर्ण विश्वास रखकर उसे करे जाओ तो परमात्मा आप तुम्हारी सहायता करता है अथवा तुम्हारी सहायता के लिए आ जाता है। लधा जी ने एक और विनती की: महाराज जी ! आजकल की सन्तान फैशनों में फँसकर उस परमात्मा का भजन नहीं करती और माता-पिता को बदनाम करती है। इसलिए मुझे इस जँजाल से बचा लो, केवल एक ही पुत्र बक्शो जो परमात्मा का भक्त और आज्ञाकारी हो। भक्त नामदेव जी ने बचन किया कि तेरी आसा पूरी होगी। यह प्रेमी अपना गाँव छोड़कर मक्खोवाल आ गया और यहीं पर ही पक्का डेरा जमा बैठा।

नोट: यह बात प्रसिद्ध है कि अब तक लधो जी की सन्तानों के यहाँ पर एक ही लड़का पैदा होता है। मक्खोवाल और भट्टीवाल, इन दोनों नगरों में भक्त नामदेव जी की यादगार कायम हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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