34. मारवाड़ में जल की प्यास
द्वारिका से चलकर भक्त नामदेव जी मथुरा वृँदावन चले। रास्ते में मारवाड़ आ गया। यहाँ
पर पानी की कमी थी। यहाँ पर कुँऐं तो थे ही नहीं अगर पानी होता है तो वह भी बहुत
दूर होता है। एक स्थान पर पहुँचे तो बहुत सारे आदमी प्यास से व्याकुल हो रहे थे।
आसपास कोई कुँआ नहीं था। किसी को पूछा तो उसने जो कुँआ बताया वह बहुत ही दूर था।
जैसे तैसे वहाँ पर पहुँचे तो उसका पानी बहुत गहरा था। प्यास से मन व्याकुल हो रहा
था। अन्य लोगों का भी यही हाल था। भक्त नामदेव जी ने परमात्मा के ध्यान में मस्त
होकर बाणी उच्चारण की जो कि श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में “राग धनासरी“ में दर्ज
है:
मारवाड़ि जैसे नीरु बालहा बेलि बालहा करहला ॥
जिउ कुरंक निसि नादु बालहा तिउ मेरै मनि रामईआ ॥१॥
तेरा नामु रूड़ो रूपु रूड़ो अति रंग रूड़ो मेरो रामईआ ॥१॥ रहाउ ॥
जिउ धरणी कउ इंद्रु बालहा कुसम बासु जैसे भवरला ॥
जिउ कोकिल कउ अम्मबु बालहा तिउ मेरै मनि रामईआ ॥२॥
चकवी कउ जैसे सूरु बालहा मान सरोवर हंसुला ॥
जिउ तरुणी कउ कंतु बालहा तिउ मेरै मनि रामईआ ॥३॥
बारिक कउ जैसे खीरु बालहा चात्रिक मुख जैसे जलधरा ॥
मछुली कउ जैसे नीरु बालहा तिउ मेरै मनि रामईआ ॥४॥
साधिक सिध सगल मुनि चाहहि बिरले काहू डीठुला ॥
सगल भवण तेरो नामु बालहा तिउ नामे मनि बीठुला ॥५॥३॥ अंग 693
अर्थ: "(मारवाड़ में जिस प्रकार बालहा अर्थात पानी प्यारा है।
जिस प्रकार रात के समय हिरन को नाद प्यारा लगता है, इसी प्रकार मेरे मन को परमात्मा
प्यारा लगता है। हे परमात्मा ! तेरा नाम भी सुन्दर है, तेरा रूप भी सुन्दर है और
रँग भी अति सुन्दर है। जिस प्रकार धरती को बारिश प्यारी होती है। जिस प्रकार भँवरे
को फूल की वासना प्यारी होती है और जिस प्रकार कोयल को आम प्यारा होता है। इसी
प्रकार मुझे परमात्मा प्यारा है। चकवी को जिस प्रकार से सूरज प्यारा होता है, हंस
को मान सरोवर प्यारा है और जिस प्रकार चात्रक को जल की बूँद और मछली को जिस प्रकार
से पानी प्यारा है। इसी प्रकार मुझे परमात्मा प्यारा है। साधिक सिद्ध सभी तुझे चाहते
हैं, परन्तु किसी विरले भाग्यशाली ने ही तेरे दर्शन किए हैं। सारे भवनों में अर्थात
खण्डों में तेरा नाम प्यारा है। उसी प्रकार मेरे मन में भी तेरा नाम प्यारा है।)"
जब भक्त नामदेव जी ने बाणी की समाप्ति की तो कुँऐं का पानी
किनारे तक आ गया। भक्त नामदेव जी ने पहले सभी प्यासों को जल पिलाया और फिर आप भी
पीया और परमात्मा का धन्यवाद किया।