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1. जन्म

  • जन्मः 1270 ईस्वी
    पिता जी का नामः दाम शेटटी जी
    माता जी का नामः गोना बाई जी
    जन्म किस स्थान पर हुआः ग्राम नरसी बाहमीनी, जिला सतारा, महाराष्ट्र (श्री पँडरपुर)
    पत्नि का नामः राजा बाई
    कितनी सन्तानें थीः 5 सन्तानें, 4 बेटे और एक बेटी
    पहले पुत्र का नामः नाराइण दास
    दुसरे पुत्र का नामः गोबिन्द दास
    तीसरे पुत्र का नामः महांदेव
    चौथे पुत्र का नामः विठल दास
    पुत्री का नामः लिंबाबाई
    भक्त नामदेव जी के हाथों से परमात्मा ने दुध पीया था, इस प्रसँग के बारे में गुरूबाणी में भी दिया गया है।
    अध्यात्मिक गुरू का नामः बिसोवा खेचर (ज्ञानदेव) जी
    समकालीन शासकः मुहम्मद बिन तुगलक
    बाणी में योगदानः बाणी कुल जड़ः 61 शब्द, 18 रागों में
    व्यवसायः व्यापारी
    भक्त नामदेव जी को ब्राहम्णों द्वारा मन्दिर से निकालने पर वह मन्दिर के पीछे चले गए तो मन्दिर उनकी तरफ घूम गया। इस बात का प्रसँग गुरूबाणी में दिया गया है।
    जोती जोत कब समायेः 1350 ईस्वी

जब पूरे सँसार में अज्ञानता का अँधकार छा गया। खासकर जब महाराष्ट्र के लोग तो परमात्मा का नाम ही जपना भूल गए और दूसरों की पूजा जैसे देवी-देवताओं की पूजा करना, मूर्ति पूजा करना, व्रत रखना, कृतिम पदार्थों की पूजा करना आदि। सभी तरफ अज्ञानता का अँधकार का छा गया तब इस अँधकार को दूर करने के लिए परमात्मा ने अपने ज्योति पूँज में से प्रकाश की एक किरण भेजी यानि उन्होंने भक्त नामदेव जी को लोगों में परमात्मिक ज्ञान बढ़ाने और राम नाम की लग्न पैदा करने के लिए भेजा। ब्रहमज्ञानी भक्त नामदेव जी का जन्म महाराष्ट्र के जिला शोलापुर के प्रसिद्ध नगर बल्कि तीर्थ श्री पँडरपुर में पिता दास शेट और माता गोणाबाई के घर में कतक सुदी एकादशी रविवार के दिन प्रातःकाल सूर्य चढ़ते समय बिक्रमी 1327, अक्टुबर 1270 इस्वी को हुआ। माता-पिता और सगे-संबंधी इनके जन्म पर बहुत प्रसन्न हुए।

नामकरण करना: बालक के जन्म होन के 12 दिन उपरान्त “नामकरण“ सँस्कार किया गया। सभी मित्रों और रिशतेदारों को बुलाया गया। विद्वान पुरूषों ने बालक का नाम “नामदेव“ रखा। एक विद्वान ने बालक नामदेव जी के दर्शन करके कहा यह तो बहुत ही अच्छे भाग्य और गुणों वाला बालक है। इसका मुख तो बहुत ही प्रकाशवान और सुन्दर मूरत है। यह हरि भक्त और महापुरूष होगा। बालक नामदेव जी की उम्र अभी दो (2) साल की ही हुई थी कि वो अपनी तोतली जुबान से हर समय बिठल-बिठल यानि परमात्मा का नाम लेते रहते जो कि सभी को अत्यन्त प्यारा लगता था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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