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48. दौलत का लालच

दौलत के लालच का जिक्र करते हुए कबीर जी ने नवाब बिजली खान पठान को बताया कि दो मित्र एक सफर के लिए रवाना हुए कि किसी न किसी प्राकर से दौलत प्राप्त करके लाई जाए। रास्ते में एक स्थान पर उनको एक खजाने का पता चल गया और वह उसके पास जाकर बैठ गए। पहला कहने लगा: अरे भाई ! मुझे तो यह खजाना मिल गया है, अब मैं आगे क्यों जाऊँ ? दूसरे ने कहा: कि भाई ! मुझे नहीं, हमें खजाना मिला है। और हम दोनों ही इसके भागीदार हैं। पहले वाले ने कहा: हाँ भाई ! यह खजाना हम दोनों का ही है और आओ पहले कुछ खाने-पीने का प्रबंधं कर लें। एक जना इस खजाने का पहरा देगा और दूसरा जाकर कुछ खाने-पीने के लिए ले आए। इस फैसले के बाद दोनों मित्रों में से एक खजाने पर पहरा देने और दूसरा बाजार से मिठाई और पूरियाँ, कचोरियाँ खरीदने के लिए चल दिया। रास्ते में शैतान ने उसके दिल में हलचल पैदा करनी शुरू कर दी। उसने सोचा कि क्यों न दूसरे को मारकर सारा खजाना आप सम्भाल लूँ। इस शैतानी सोच ने उसे नीचता पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया। उसने मित्र घात करने के लिए बाजार में से जहर लिया और मिठाई में मिला दिया। दूसरी तरफ ऐसी ही कुछ शैतानी बातें उस मित्र के भी दिमाग में आने लगी जो कि खजाने की देखभाल कर रहा था। वह सोचने लगा कि किस प्रकार से दूसरे को मारकर सारे खजाने का मालिक बना जाए। यह सोचकर उनसे तलवार को म्यान से निकाल लिया और एक ऐसे स्थान पर छिपकर खड़ा हो गया जहाँ से वह बाजार से आने पर मित्र पर बड़ी आसानी से वार कर सकता था। जब बाजार गया हुआ मित्र दूर से पूरी कचोरी और मिठाई के साथ आता हुआ दिखाई दिया तो उसने अपने आपको वार करने के लिए तैयार कर लिया। पास आने पर उसने अपने मित्र की गर्दन उड़ा दी। मित्र को मारकर वह बड़ा खुश हुआ कि अब सारा खजाना उसका है और अब कोई हिस्सा माँगने वाला भी नहीं है। उसने मित्र की लाश घसीटकर झाड़ियों में डाल दी। उसको बहुत भूख लगी हुई थी। इसलिए उसने फैसला किया कि पहले कुछ खा पी लिया जाए। यह फैसला करके वह मित्र द्वारा लाई गई पूरियाँ, कचोरियाँ और सारी मिठाई पर भूखे शेर की भाँति टूट पड़ा और सब कुछ खत्म करके ही दम लिया। परन्तु यह क्या खाने में तो जहर था वह तुरन्त वहीं पर खत्म हो गया। इस प्रकार दौलत के लालच में दोनों मित्रों को मौत से हाथ धोना पड़ा और खजाना वहीं के वहीं धरा रह गया।
कबीर जी की साखियाँ सुनकर नवाब बिजली खान पठान उनके चरणों में गिर पड़ा और गुरू दीक्षा की माँग की।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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