SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

23. कोहड़ी का कोहड़ हटाना

राम नाम इक जादू ऐसा, जिस दे काबू आइ ।।
होवन दूर करोधिया सभे दूख गवाइ ।।
कोहड़ कुशटिआं दा हरे देह कुंदन हो जाइ ।।
कटीआं जाण चौरासीआं कबीर राम जां भाइ ।।

कबीर जी की महिमा दूर-दूर तक फैल गई थी। लोग राम का प्यारा भक्त जानकर दूर-दूर से उनके दशर्नों को आते थे। कहते हैं कि पति-पत्नी के शरीर अलग-अलग होते हैं और जान एक ही होती है और पति के कर्मों का आधा फल पत्नी को भी मिलता है। कबीर जी और लोई जी पर यह बात ठीक बैठती थी। कबीर जी की पत्नी माता लोई जी भी राम नाम में रँगी हुई थी। एक दिन कबीर जी घर पर नहीं थे तो किसी ने दरवाजा खटखटाया। लोई जी ने उठकर दरवाजा खोला तो सामने एक कोहड़ी खड़ा हुआ था जिसके शरीर जख्म थे और उनमें से भारी बदबू आ रही थी। लोई जी के सामने सिर झूकाकर उसने पूछा: माता जी ! मैं कबीर साहिब जी के दर्शन करने आया हूँ। सुना है कि उनके पास एक ऐसी दवाई है कि जो कोहड़ को हटा देती है। यह कहकर वह कोहड़ी वहीं दरवाजे के पास ही बैठ गया। लोई जी को इस पर बहुत तरस आया उन्होंने उसे पानी पिलाया और कहा: बेटा ! तेरे इस रोग का इलाज मैं अपने राम की कृपा से करूँगी। लोई जी ने कहा: बेटा ! बोल राम, कोहड़ी ने राम नाम का उच्चारण किया, परन्तु उसकी हालत जैसे जी तैसे ही रही। लोई जी के कहने पर उसने दुबारा राम नाम कहा तो उसका कोहड़ का रोग दूर हो गया और शरीर कुन्दन जैसा सुन्दर और स्वस्थ हो गया। लोई जी ने उसे एक बार फिर राम कहने के लिए कहा। उसने राम नाम का उच्चारण किया और उसकी आत्मा में एक मीठी सी अमृतमयी फुहार से शान्ति आ गई। वह धन्य कबीर ! धन्य कबीर ! करता हुआ वापिस चल पड़ा। उसे रास्ते में कबीर जी मिले, उस समय वह धन्य कबीर ! बोल रहा था।

कबीर जी ने उससे पूछा: राम जन ! तुम धन्य कबीर ! क्यो कह रहे हो ? युवक: कैसे ना कहूँ, मेरा तो पार उतारा हो गया है, उनके घर जाकर। मैं कोहड़ी था, अब मेरा शरीर सुन्दर और स्वस्थ हो गया है। वहाँ पर कबीर जी तो मिले नहीं, परन्तु उनकी धर्मपत्नी माता लोई जी ने तीन बार राम ! राम ! राम ! जपाकर मेरा कोहड़ दूर कर दिया है। मैं तन्दुरूस्त होकर घर जा रहा हूँ। यह सुनकर कबीर जी घर आ गए। पर लोई जी से नहीं बोले। गुस्सा होकर एक तरफ पीठ देकर बैठ गए। कबीर जी का गुस्सा देखकर माता लोई जी से बैठा नहीं गया। वह आप उठकर पति के पास आई। और चरणों को हाथ लगाकर बोलीं: स्वामी जी ! क्या आप मुझसे नाराज हो ? कबीर जी– क्योंकि तेरा राम पर भरोसा नहीं रहा। लोई जी: हैं ! मेरा राम नाम पर भरोसा नहीं रहा ! वह कैसे ? कबीर जी: एक बार ही राम का नाम लेने से सारे दुख दूर हो जाते हैं, परन्तु तुने एक आदमी का कोहड़ हटाने के लिए तीन बार राम का नाम जपवाया। लोई जी ने हाथ जोड़कर कहा: स्वामी जी आपने गलत समझा है। मैंने एक बार नाम जपाकर उसके मँदे कर्मों के असर को काटा था, जिसका फल वो कोहड़ी होकर भोग रहा था। जब उसके बूरे कर्मों का असर कट गया तो दूसरी बार राम जपाकर मैंने उसके शरीर के सारे रोग काट दिए। फिर एक बार सोचा कि जब यह भक्त कबीर जी के घर इतनी श्रद्धा से आया है तो इसके आत्मिक रोगों को भी क्यों न काट दिया जाए। इसलिए तीसरी बार राम नाम का जपाकर, उसके आत्मिक रोगों को काटकर उसका कल्याण किया है। यह सुनकर कबीर जी हँसकर बोले: लोई ! इसी प्रकार मेरे राम जी पर भरोसा रखो और उसके और उसके पवित्र नाम द्वारा अमृत वर्षा करके दुनियाँ के दुख दूर करती रहो। बँदे की सेवा करने से मेरे राम खुश होते हैं और अपनी मेहरों का हाथ हमारी तरफ बढ़ाते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.