SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

7. जति

जैसे आया है ‘बिलावल महला 1 थिती घर 10 जति’– यह जति सँकेत है तबले वाले के लिए कि उसने इस शब्द के गायन समय बायाँ हाथ तबले से उठाकर खुला बजाना है। जब दायाँ हाथ किनारे पर रखकर हरफ निकाले तथा साथ या कड़कट तब होता है जब दोनों हाथ खुल कर बजें। इन उपरोक्त शीर्षकों के इलावा श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में कुछ अन्य शीर्षक भी प्रयोग किए गए हैं जैसे पहिरिआ के घरि गावणा, जुमला, जोड़, सुध, सुध कीचै आदि।

उदाहरण के लिएः
बिलावलु महला १ थिती घरु १० जति  
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
एकम एकंकारु निराला ॥ अमरु अजोनी जाति न जाला ॥
अगम अगोचरु रूपु न रेखिआ ॥ खोजत खोजत घटि घटि देखिआ ॥
जो देखि दिखावै तिस कउ बलि जाई ॥ गुर परसादि परम पदु पाई ॥१॥
किआ जपु जापउ बिनु जगदीसै ॥
गुर कै सबदि महलु घरु दीसै ॥१॥ रहाउ ॥
दूजै भाइ लगे पछुताणे ॥ जम दरि बाधे आवण जाणे ॥
किआ लै आवहि किआ ले जाहि ॥ सिरि जमकालु सि चोटा खाहि ॥
बिनु गुर सबद न छूटसि कोइ ॥ पाखंडि कीन्है मुकति न होइ ॥२॥
आपे सचु कीआ कर जोड़ि ॥ अंडज फोड़ि जोड़ि विछोड़ि ॥
धरति अकासु कीए बैसण कउ थाउ ॥ राति दिनंतु कीए भउ भाउ ॥
जिनि कीए करि वेखणहारा ॥ अवरु न दूजा सिरजणहारा ॥३॥
त्रितीआ ब्रह्मा बिसनु महेसा ॥ देवी देव उपाए वेसा ॥
जोती जाती गणत न आवै ॥ जिनि साजी सो कीमति पावै ॥
कीमति पाइ रहिआ भरपूरि ॥ किसु नेड़ै किसु आखा दूरि ॥४॥
चउथि उपाए चारे बेदा ॥ खाणी चारे बाणी भेदा ॥
असट दसा खटु तीनि उपाए ॥ सो बूझै जिसु आपि बुझाए ॥
तीनि समावै चउथै वासा ॥ प्रणवति नानक हम ता के दासा ॥५॥
पंचमी पंच भूत बेताला ॥ आपि अगोचरु पुरखु निराला ॥
इकि भ्रमि भूखे मोह पिआसे ॥ इकि रसु चाखि सबदि त्रिपतासे ॥
इकि रंगि राते इकि मरि धूरि ॥ इकि दरि घरि साचै देखि हदूरि ॥६॥
झूठे कउ नाही पति नाउ ॥ कबहु न सूचा काला काउ ॥
पिंजरि पंखी बंधिआ कोइ ॥ छेरीं भरमै मुकति न होइ ॥
तउ छूटै जा खसमु छडाए ॥ गुरमति मेले भगति द्रिड़ाए ॥७॥
खसटी खटु दरसन प्रभ साजे ॥ अनहद सबदु निराला वाजे ॥
जे प्रभ भावै ता महलि बुलावै ॥ सबदे भेदे तउ पति पावै ॥
करि करि वेस खपहि जलि जावहि ॥ साचै साचे साचि समावहि ॥८॥
सपतमी सतु संतोखु सरीरि ॥ सात समुंद भरे निर्मल नीरि ॥
मजनु सीलु सचु रिदै वीचारि ॥ गुर कै सबदि पावै सभि पारि ॥
मनि साचा मुखि साचउ भाइ ॥ सचु नीसाणै ठाक न पाइ ॥९॥
असटमी असट सिधि बुधि साधै ॥ सचु निहकेवलु करमि अराधै ॥
पउण पाणी अगनी बिसराउ ॥ तही निरंजनु साचो नाउ ॥
तिसु महि मनूआ रहिआ लिव लाइ ॥ प्रणवति नानकु कालु न खाइ ॥१०॥
नाउ नउमी नवे नाथ नव खंडा ॥ घटि घटि नाथु महा बलवंडा ॥
आई पूता इहु जगु सारा ॥ प्रभ आदेसु आदि रखवारा ॥
आदि जुगादी है भी होगु ॥ ओहु अपर्मपरु करणै जोगु ॥११॥
दसमी नामु दानु इसनानु ॥ अनदिनु मजनु सचा गुण गिआनु ॥
सचि मैलु न लागै भ्रमु भउ भागै ॥ बिलमु न तूटसि काचै तागै ॥
जिउ तागा जगु एवै जाणहु ॥ असथिरु चीतु साचि रंगु माणहु ॥१२॥
एकादसी इकु रिदै वसावै ॥ हिंसा ममता मोहु चुकावै ॥
फलु पावै ब्रतु आतम चीनै ॥ पाखंडि राचि ततु नही बीनै ॥
निरमलु निराहारु निहकेवलु ॥ सूचै साचे ना लागै मलु ॥१३॥
जह देखउ तह एको एका ॥ होरि जीअ उपाए वेको वेका ॥
फलोहार कीए फलु जाइ ॥ रस कस खाए सादु गवाइ ॥
कूड़ै लालचि लपटै लपटाइ ॥ छूटै गुरमुखि साचु कमाइ ॥१४॥
दुआदसि मुद्रा मनु अउधूता ॥ अहिनिसि जागहि कबहि न सूता ॥
जागतु जागि रहै लिव लाइ ॥ गुर परचै तिसु कालु न खाइ ॥
अतीत भए मारे बैराई ॥ प्रणवति नानक तह लिव लाई ॥१५॥
दुआदसी दइआ दानु करि जाणै ॥ बाहरि जातो भीतरि आणै ॥
बरती बरत रहै निहकाम ॥ अजपा जापु जपै मुखि नाम ॥
तीनि भवण महि एको जाणै ॥ सभि सुचि संजम साचु पछाणै ॥१६॥
तेरसि तरवर समुद कनारै ॥ अमृतु मूलु सिखरि लिव तारै ॥
डर डरि मरै न बूडै कोइ ॥ निडरु बूडि मरै पति खोइ ॥
डर महि घरु घर महि डरु जाणै ॥ तखति निवासु सचु मनि भाणै ॥१७॥
चउदसि चउथे थावहि लहि पावै ॥ राजस तामस सत काल समावै ॥
ससीअर कै घरि सूरु समावै ॥ जोग जुगति की कीमति पावै ॥
चउदसि भवन पाताल समाए ॥ खंड ब्रहमंड रहिआ लिव लाए ॥१८॥
अमावसिआ चंदु गुपतु गैणारि ॥ बूझहु गिआनी सबदु बीचारि ॥
ससीअरु गगनि जोति तिहु लोई ॥ करि करि वेखै करता सोई ॥
गुर ते दीसै सो तिस ही माहि ॥ मनमुखि भूले आवहि जाहि ॥१९॥
घरु दरु थापि थिरु थानि सुहावै ॥ आपु पछाणै जा सतिगुरु पावै ॥
जह आसा तह बिनसि बिनासा ॥ फूटै खपरु दुबिधा मनसा ॥
ममता जाल ते रहै उदासा ॥ प्रणवति नानक हम ता के दासा ॥२०॥१॥

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.