5. रहाउ
यह माना जाता है कि शब्द का केन्द्रीय सम्बन्ध "रहाउ" की पँक्ति में होता है। "रहाउ"
का अर्थ टेक या स्थायी है तथा वह पद जो गायन करते समय बार बार अंतरे के पीछे प्रयोग
किया जाता है। कभी-कभी रहाउ पद की पहली तुक में ही आ सकता है।
उदाहरण के लिएः (1)
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
रागु सिरीरागु महला पहिला १ घरु १॥
मोती त मंदर ऊसरहि रतनी त होहि जड़ाउ ॥
कसतूरि कुंगू अगरि चंदनि लीपि आवै चाउ ॥
मतु देखि भूला वीसरै तेरा चिति न आवै नाउ ॥१॥
हरि बिनु जीउ जलि बलि जाउ ॥
मै आपणा गुरु पूछि देखिआ अवरु नाही थाउ ॥१॥ रहाउ ॥
उदाहरण के लिएः (2)
गउड़ी महला ५ ॥
भुज बल बीर ब्रह्म सुख सागर गरत परत गहि लेहु अंगुरीआ ॥१॥ रहाउ ॥
स्रवनि न सुरति नैन सुंदर नही आरत दुआरि रटत पिंगुरीआ ॥१॥
दीना नाथ अनाथ करुणा मै साजन मीत पिता महतरीआ ॥
चरन कवल हिरदै गहि नानक भै सागर संत पारि उतरीआ ॥२॥२॥११५॥