SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

1. धुनी

धुनी का शाब्दिक अर्थ है ध्वनि, स्वरों का आलाप, गूँज, गाने का ढँग। पँचम पातशाह गुरू अरजन देव साहिब जी ने श्री आदि ग्रँथ साहिब जी के सम्पादन के समय 9 ऐसी वारें चुनी जिनके ऊपर गायन का विधान दर्ज किया है। इन 9 धुनियों के ऊपर ही छठे पातशाह गुरू हरिगोबिंद साहिब ने रबाबियों से वारों का गायन करवाकर सिक्खों में वीर रस पैदा किया। यह 9 धुनियाँ इस प्रकार हैं:

1. "वार माझ की" तथा सलोक महला 1 अंग 137 मलक मुरीद तथा चंद्रहड़ा की धुनी गावणी
2. गउड़ी की वार महला 5 अंग 318 राइ कमालदी मोजदी की वार की धुनि उपरि गावणी
3. आसा महला 1 वार सलोका नालि अंग 462 सलोक भी महले पहिले के लिखे टुंडे अस राजै की धुनी
4. गूजरी की वार महला 3 अंग 508 सिकंदर बिराहिम की वार की धुनी गाउणी
5. वडहंस की वार महला 4 अंग 585 ललां बहलीमा की धुनि गावणी
6. रामकली की वार महला 3 अंग 947 जोधै वीरे पूरबाणी की धुनी
7. सारंग की वार महला 4 अंग 1237 राइ महमे हसने की धुनी
8. वार मलार की महला 1 अंग 1278 राणे कैलास तथा मालदे की धुनी
9. कानड़े की वार महला 4 अंग 1312 मूसे की वार की धुनी

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.