21. राग माला
श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी के अन्त में अंग 1429 व 1430 पर राग माला दर्ज है। राग
माला से भाव है ऐसी रचना जिसमें रागों की नामावली हो, राग व उनके परिवार अर्थात
किस्म दर किस्म का विवरण हो।
उदाहरण के लिएः
ੴ सतिगुर प्रसादि॥ राग माला ॥
राग एक संगि पंच बरंगन ॥ संगि अलापहि आठउ नंदन ॥
प्रथम राग भैरउ वै करही ॥ पंच रागनी संगि उचरही ॥
प्रथम भैरवी बिलावली ॥ पुंनिआकी गावहि बंगली ॥
पुनि असलेखी की भई बारी ॥ ए भैरउ की पाचउ नारी ॥
पंचम हरख दिसाख सुनावहि ॥ बंगालम मधु माधव गावहि ॥१॥
ललत बिलावल गावही अपुनी अपुनी भांति ॥
असट पुत्र भैरव के गावहि गाइन पात्र ॥१॥
दुतीआ मालकउसक आलापहि ॥ संगि रागनी पाचउ थापहि ॥
गोंडकरी अरु देवगंधारी ॥ गंधारी सीहुती उचारी ॥
धनासरी ए पाचउ गाई ॥ माल राग कउसक संगि लाई ॥
मारू मसतअंग मेवारा ॥ प्रबलचंड कउसक उभारा ॥
खउखट अउ भउरानद गाए ॥ असट मालकउसक संगि लाए ॥१॥
पुनि आइअउ हिंडोलु पंच नारि संगि असट सुत ॥
उठहि तान कलोल गाइन तार मिलावही ॥१॥
तेलंगी देवकरी आई ॥ बसंती संदूर सुहाई ॥
सरस अहीरी लै भारजा ॥ संगि लाई पांचउ आरजा ॥
सुरमानंद भासकर आए ॥ चंद्रबिमब मंगलन सुहाए ॥
सरसबान अउ आहि बिनोदा ॥ गावहि सरस बसंत कमोदा ॥
असट पुत्र मै कहे सवारी ॥ पुनि आई दीपक की बारी ॥१॥
कछेली पटमंजरी टोडी कही अलापि ॥
कामोदी अउ गूजरी संगि दीपक के थापि ॥१॥
कालंका कुंतल अउ रामा ॥ कमलकुसम च्मपक के नामा ॥
गउरा अउ कानरा कल्याना ॥ असट पुत्र दीपक के जाना ॥१॥
सभ मिलि सिरीराग वै गावहि ॥ पांचउ संगि बरंगन लावहि ॥
बैरारी करनाटी धरी ॥ गवरी गावहि आसावरी ॥
तिह पाछै सिंधवी अलापी ॥ सिरीराग सिउ पांचउ थापी ॥१॥
सालू सारग सागरा अउर गोंड ग्मभीर ॥
असट पुत्र स्रीराग के गुंड कुमभ हमीर ॥१॥
खसटम मेघ राग वै गावहि ॥ पांचउ संगि बरंगन लावहि ॥
सोरठि गोंड मलारी धुनी ॥ पुनि गावहि आसा गुन गुनी ॥
ऊचै सुरि सूहउ पुनि कीनी ॥ मेघ राग सिउ पांचउ चीनी ॥१॥
बैराधर गजधर केदारा ॥ जबलीधर नट अउ जलधारा ॥
पुनि गावहि संकर अउ सिआमा ॥ मेघ राग पुत्रन के नामा ॥१॥
खसट राग उनि गाए संगि रागनी तीस ॥
सभै पुत्र रागंन के अठारह दस बीस ॥१॥१॥ अंग 1429 व 1430