5. बाणी सम्पादन
गुरू अर्जुन देव जी द्वारा सम्पादित किए श्री गुरू ग्रँथ साहिब के पवित्र स्वरूप को
सरल तरीके से समझने के लिए इसे तीन भागों में बाँटकर देखा जा सकता है:
1. अंग संख्या 1 से 13 तक: नितनेम की बाणियाँ दर्ज की गई हैं जिनमें ‘जपु’ राग रहित
बाणी है तथा ‘सो दरु’ व ‘सोहिला’ के शब्द सँग्रह रागों में भी है ।
2. अंग सँख्या 14 से 1353 तक: यह सम्पूर्ण रागबद्ध बाणी है और श्री गुरू ग्रँथ
साहिब जी का बड़ा हिस्सा है। श्री गुरू अरजन देव जी ने इस हिस्से को 30 रागों में
बाँटा तथा बाद में श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी ने गुरू तेग बहादर साहिब जी की पवित्र
रचना एवँ जैजावंती राग दर्ज करके रागों की सँख्या 31 कर दी ।
3. अंग सँख्या 1353 से 1430 तक: इस भाग में अँकित बाणियों का विवरण इस प्रकार है:
1. सलोक सहसकृती महला पहिला, 1353
2. सलोक सहसकृती महला पँजवाँ, 1353
3. गाथा महला 5, 1360
4. फुनहे महला 5, 1361
5. चउबोले महल 5, 1363
6. सलोक भगत कबीर जीउ के, 1364
7. सलोक शेख फरीद के, 1377
8. सवैये श्री मुखबाक महला 5, 1385
9. सवैये भट्टों के, 1389
10. सलेक वारां ते वधीक, 1410
11. सलोक महला 9, 1426
12. मुंदावणी महला 5, 1429
13. राग माला, 1429