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4. श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी का सम्पादन

श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी के सम्पादन का कार्य पाँचवे पातशाह गुरू अरजन देव जी द्वारा सम्पूर्ण हुआ। 1599 ईस्वी में इस ग्रँथ का सम्पादन का कार्य आरम्भ हुआ। सम्पादन के कार्य के लिए अमृतसर के बिल्कुल समीप रामसर के रमणीक स्थल का चुनाव किया गया। इस पवित्र ‘श्री आदि ग्रँथ साहिब जी’ को लिखने का मान भाई गुरदास जी को प्राप्त हुआ और 1604 ईस्वी में यह प्रवित्र ‘श्री आदि ग्रँथ साहिब जी’ सम्पन्न हुआ। ‘श्री आदि ग्रँथ साहिब जी’ का प्रथम प्रकाश 1 सितम्बर 1604 ईस्वी को श्री हरिमन्दिर साहिब में किया गया तथा बाबा बुढ्ढा जी को इसका प्रथम ग्रँथी नियुक्त किया गया। इस प्रथम प्रकाश के समय जो हुक्मनामा आया, वह है:

सूही महला 5
संत के कारजि आपि खलोइआ हरि कंमु करावणि आइआ राम ।।
धरति सुहावी तालु सुहावा विचि अमृत जलु छाइआ राम ।।
अमृत जलु छाइआ पूरन साजु कराइआ सगल मनोरथ पूरे ।।
जै जै कारु भइआ जग अंतरि लाथे सगल विसूरे ।।
पूरन पुरख अचुत अबिनसी जसु वेद पुराणी गाइआ ।।
अपना बिरदु रखिआ परमेसरि नानक नामु धिआइआ ।। अंग 783

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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