38. आध्यात्मिक उपदेश
परमात्मा का नाम श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी का प्रमुख उपदेश है। इसे सृजनहार पालनहार
व सर्वसमर्थ हस्ती के लिए भी प्रयोग किया गया है। इस प्रकार यह परमात्मा की
सम्पूर्णताओं का प्रकाशन करने वाला ढँग भी है और इसके माध्यम द्वारा मनुष्य इनके
रहस्य को बूझ भी सकता है। नाम एक सर्वव्यापक होंद (अस्तित्व) है जो हर जगह भरपूर
होकर जर्रे जर्रे का उद्धार कर रहा है। नाम सबसे ऊँचा है, सर्वशक्तिमान है, सब जगह
फैला हुआ है। नाम के बराबर अन्य कोई पदार्थ नहीं है, यह सबसे श्रेष्ठ है। श्री गुरू
ग्रँथ साहिब जी के प्रमुख आघ्यात्मिक सिद्धाँतों में एक अकालपुरख में विश्वास,
सृष्टि रचना, नाम, सतसंगत व अरदास की व्याख्या के द्वारा धर्म एवँ उपदेश के सम्बन्धों
को सामने लाया जा सकता है। इसके आलवा और भी आध्यात्मिक सिद्धान्त हैं लेकिन उनके
वर्णन की यहाँ गुँजाइश नहीं हैं तथा उनका विशलेषण आगे किया जाएगा। श्री गुरू ग्रँथ
साहिब जी के आरम्भ में मूलमँत्र दर्ज है और मूलमँत्र में परमात्मा के स्वरूप की
व्याख्या की गई है। इस मूलमँत्र को श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में मँगलाचरण के रूप
में प्रयोग किया गया है।