|
|
|
34. श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी की
विलक्षणता
श्री आदि ग्रँथ साहिब जी के सम्पादन के पीछे श्री गुरू साहिबान जी के मन में एक बड़ा
प्रश्न था, क्योंकि दुनिया के अन्य धर्म ग्रँथों को सँग्रहित करने की जिम्मेवारी उन
धर्मों की बौद्धिक उत्तमता ने निभाई थी। उदाहरण के रूप में, पवित्र बाईबल पैगम्बर
यीसू के परलोक गमन से 100 वर्ष पश्चात् सामने आया, पवित्र कुरआन का सम्पादन खलीफा
उरमान के समय सम्पूर्ण हुआ, पवित्र वेद लम्बे समय श्रुति व स्मृति के हिस्सा रहे,
जैन धर्म के धर्म ग्रँथ इस धर्म के अन्तिम तीर्थकर महावीर जैन से 925 वर्ष पश्चात्
सँकलित किए गए और बुद्ध धर्म के पवित्र ग्रँथों को लिखित रूप, सिल्लियों के ऊपर 85
बी. सी. में लिखा। उपरोक्त धर्म ग्रँथों के सृजना इतिहास की ओर नज़र डालने के
उपरान्त, श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी की विलक्षणता की झलक स्पष्ट नज़र आने लग जाती है,
क्योंकि:
-
1. धर्मों के इतिहास में यह एक ऐसा धर्म ग्रँथ है जिसे गुरू
रूप में प्रवान किया हुआ है। यह दुनिया का एक ही वाहिद धर्मिक इलाही ग्रँथ है
जिसे प्रकाश करना, सँतोखना, हुक्म लेने का विभिन्न विधि-विधान है जो अन्य किसी
धर्म ग्रँथ को हासिल नहीं हैं।
-
2. यह एक ही ऐसा "धर्म ग्रंथ" है जिसका सम्पादन स्वयँ धर्म
के "प्रवर्तकों" द्वारा खुद किया गया है, इसीलिए ‘श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी’
शँकाओं व किन्तु परन्तुओं से मुक्त है।
-
3. श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में कहीं भी "सिक्ख गुरू
साहिबान" की कथा-कहानियों को चमत्कारी रूप में पेश नहीं किया गया है।
-
4. श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी के भीतर का चिंतन, मानव मुक्ति
के द्वार खोलता हुआ एक ऐसे मनुष्य की तस्वीर की सृजना करता है जो मानवता की
‘बंद खलासी’ तथा ‘पत सेती’ जीवन के लिए जिन्दगी व मौत को एक जैसा समझता है।
-
5. श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी हिन्दुस्तान के 500 वर्ष,
बारहवीं से सत्रहवीं सदी के इतिहास का भी स्त्रोत है।
|
|
|
|