3. गुरू मान्यो ग्रँथ
दशम पातशाह श्री गुरू गोबिन्द सिंह साहिब जी ने श्री आनन्दपुर साहिब जी छोड़ने के
पश्चात् तलवँडी साबो में रैन-बसेरा बनाया तथा वहाँ श्री आदि ग्रँथ साहिब जी की सारी
बाणी को लिखित रूप प्रदान किया। इस लिखित रूप की सेवा का कार्य भाई मनी सिंह जी के
हिस्से आया। इस ग्रँथ में गुरू तेग बहादर साहिब जी की बाणी दर्ज की व जैजावंती राग
शमिल करके रागों की संख्या 31 कर दी। इसी पवित्र धर्म ग्रँथ को 1708 ईस्वी में गुरू
गोबिन्द सिंह जी ने ज्योति-जोति समाने के समय गुरगद्दी देकर सिक्खों को "श्री गुरू
ग्रँथ साहिब जी" के अधीन किया और "शब्द गुरू" का नया सिद्धान्त स्थापित कर दिया।
आज्ञा भई अकाल की, तबै चलायो पंथ ।।
सब सिखन को हुक्म है गुरू मानयो ग्रन्थ ।।
गुरू ग्रंथ जी मानिआहु, प्रगट गुरां की देह ।।
जो प्रभु को मिलबो चहै, खोज शब्द मै लेह ।।