27. भक्त बेणी जी
भक्त बेणी जी के जन्म या परिवार के बारे में प्राचीन स्रोत-साहित्य बिल्कुल खामोश
है। मैकालिफ बिना किसी स्रोत का जिक्र किए आपका जन्म तेरहवीं सदी का अन्त मानता है।
इसी तरह एक पँजाबी पत्रिका इन्हें मध्यप्रदेश के ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए
दर्शाती है। श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में जो आप की बाणी दर्ज है, उससे स्पष्ट होता
है कि आप का सम्बन्ध निरगुणवादी भक्ति के साथ है और हो सकता है कि भक्ति लहर के
उत्तर भारत में दाखिल होने वालों के प्रमुखों में आप हों। भाई गुरदास जी अपनी रचना
में भक्त बेणी जी की तस्वीर एक एकान्त-वास प्रभुरँग में रँगे हुए भक्त के रूप में
करते हैं। आप हमेशा भक्ति में लीन रहते। कुछ भी हो आप की रचना में गहरी दार्शनिकता
और सामाजिक चित्र का रूप सामने आता है, जो धार्मिक कर्मकांडों का सख्ती से विरोध ही
नहीं करता बल्कि ब्राह्मण एवँ योगी परम्परा द्वारा किए प्रपँचों को भी नँगा करने
में समर्थ था। आप जी के व्यक्तित्व के बारे में भट कलय इस तरह लिखते हैं:
भगतु बेणि गुण रवै सहजि आतम रंगु माणै ।।
जोग धिआनि गुर गिआनि बिना प्रभ अवरु न जाणै ।। अंग 1390
बाणी रचना: 3 शब्द, 3 रागों में