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24. भक्त त्रिलोचन जी

श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में अपनी बाणी द्वारा हमेशा हमेशा के लिए अमरता प्राप्त करने वाले भक्तों में भक्त त्रिलोचन आयु के काल अनुसार तीसरे स्थान पर आते हैं। इनके जन्म के बारे में प्रमाणित समय 1267 ईस्वी है। इनके माता पिता या साँसारिक रिश्तेनाते का किसी भी प्रमाणिक स्रोत से कुछ नहीं पता चलता लेकिन यह माना जाता है कि महाराष्ट्र राज्य के जिला शोलापुर के गाँव बारसी से इनके जन्म का संबंध है। गुरबाणी एवँ भाई गुरदास जी के लेखन में भक्त नामदेव व त्रिलोचन जी के दोस्ताना संबंधों के बारे में जिक्र मिलता है। गुरबाणी में यहाँ तक हवाला मिलता है कि भक्त नामदेव के साथ से इन्हें अपने भीतर छिपी हुई परमात्म ज्योति का अहसास हुआ:

नामा कहै तिलोचना मुख ते रामु संमालि ।।
हाथ पाउ करि कामु सभु चीतु निरंजन नालि ।।  अंग 1375

श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में दर्ज आपकी बाणी में जहाँ झूठे आडम्बरों की घोर निषेधी की है, वहीं भेषों-पाखण्डों का त्याग करने पर ज़ोर डालते हुए परमात्मा के घर का वासी बनने की ओर उत्साहित किया गया है।

बाणी कुल जोड़: 4, तीन रागों में

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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