SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

19. भक्त परमानन्द ज

भक्त परमानन्द जी भी श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी के योगदानियों में से एक है। इनका एक शब्द राग सारँग में श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी के अंग 1253 पर अंकित है। भक्त परमानन्द जी के जन्म, जन्म स्थान व माता पिता के बारे में प्रमाणिक जानकारी नहीं मिलती लेकिन यह प्रमाणित है कि मध्यकाल के आप उच्चकोटि के भक्तजन थे। भक्त परमानन्द जी का जो शब्द श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में दर्ज है, उसमें मनुष्य को केन्द्रीय बनाकर उसके भीतर के विकारों का व्याख्यान करके उसे असली जीवन की प्राप्ति के लिए सचेत किया है और उसकी राह साधसंगत की सेवा व उपमा बताया है:

तै नर किआ पुरानु सुनि कीना ।।
अनपावनी भगति नही उपजी भूखै दानु न दीना ।।1।। रहाउ
कामु न बिसरिओ क्रोधु न बिसरिओ लोभु न छूटिओ देवा ।।
पर निंदा मुख ते नहीं छूटी निफल भई सभ सेवा ।।
बाद पारि घरु मूसि बिरानी पेटु भरै अप्राधी ।।
जिहि परलोक जाइ अपकीरति सोई अबिदिआ साधी ।।
हिंसा तउ मन ते नहीं छूटी जीअ दइआ नही पाली ।।
परमानन्द साधसंगति मिलि कथा पुनीत न चाली ।। अंग 1253

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.