1. जान पहचान
श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी, यह ग्रन्थ केवल सिक्खों का ही नहीं है, बल्कि यह तो
समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए है, इसलिए इसे मानवता का ग्रन्थ कहा जाता है। इसके
द्वारा हमें परमात्मा का पूर्ण ज्ञान होता है कि परमात्मा क्या है और उसे किस
प्रकार से पाया जा सकता है। श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की प्रत्येक लाइन परमात्मा
से ही जोड़ती है। गूरूबाणी में उन सभी भक्तों और संतों की बाणी दर्ज है, जिन्होंने
केवल और केवल परमात्मा से जोड़ने का प्रयास किया है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह
है कि सभी की बाणी ऐसी लगती है, जैसे कि पूरी की पूरी बाणी किसी एक की ही है,
क्योंकि इतनी समानता है कि आप स्वयँ भी अचँभित रह जायेंगे। इसमें 6 गुरू साहिबान,
15 भक्त साहिबान, 11 भटट साहिबान और 4 गुरूसिक्ख साहिबानों की यानि कि कुल 36
बाणीकारों की बाणी दर्ज है। इन सभी ने परमात्मा से जोड़ने का प्रयास किया है और अपनी
आप-बीती भी बाणी के माध्यम से कहने का यत्न किया है। परमात्मा के प्रति अपनी विरह
ओर वेदन को भी इन्होंने प्रभु की अमृतमयी बाणी के माध्यम से कहा है। श्री गुरू
ग्रन्थ साहिब जी में जाति-पाति के बन्धनों को नहीं माना गया है और उन सभी की बाणी
इसमें दर्ज है, जिन्होंने परमात्मा से जोड़ने का प्रयास किया है। भले ही वह भक्त संत
किसी भी जाति से संबधं रखता हो और कहा भी गया है कि अगर कोई जाति पाति की बात करता
है तो परमात्मा उसे निकट भी नहीं जाता और उसे कभी भी नहीं मिलता। अगर कोई भी व्यक्ति
परमात्मा का सामीप्य पाना चाहता है और वह चाहता है कि उसे केवल और केवल परमात्मा जी
की जानकारी प्राप्त हो और उसे कैसे पाया जाता है, तो उसे पूरी दुनिया में केवल और
केवल एक ही ग्रन्थ मिलता है और वह है: "धन धन श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी" महाराज और
इसलिए कहा भी गया है: "जो प्रभु को मिलबो चहै, खोज सबद महि लैह।" अगर आप परमात्मा
को मिलना चाहते हो तो शबद अर्थात् उसे गुरूबाणी में खोजो, निश्चित रूप से वह आपको
प्राप्त होगा।