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28. चक्क नानकी (श्री आनन्दपुर साहिब जी) में पुनः धूमधाम

श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी पटना नगर, अपने परिवार से आज्ञा लेकर पँजाब चक्क नानकी के लिए चल पड़े। वह रास्ते में विभिन्न स्थानों का दौरा करते हुए और संगतों को गुरुमति सिद्धान्तों से अवगत करवाते हुए धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे। दिल्ली पहुँचने पर वहाँ आप जी रानी पुष्पादेवी से मिले, उनसे विचारविमर्श में औरँगजेब की विषैली सम्प्रदायिक नीतियों के विषय में चिन्ता प्रकट की और स्वर्गीय राजा जयसिँह का अभाव महसूस किया या। रानी ने कहा– यदि वह जीवित होते तो औरँगजेब खुलेआम हिन्दुओं के विरूद्ध विषैली नीतियों की घोषणा करने का साहस नहीं कर सकता था। गुरूदेव आगे बढ़ते हुए कीरतपुर पहुँचे। आप जी अपने बड़े भाई श्री सूरजमल जी के यहाँ ठहरे। उन्होंने आपका हार्दिक स्वागत किया। आप जी ने उन्हें अपनी लम्बी यात्राओं का विवरण सुनाया और तत्कालीन राजनीतिक घटनाओं पर परामर्श किया। आपके लौट आने का समाचार श्री आनन्दपुर साहिब जी पहुँच गया। वहाँ की स्थानीय संगतों ने आपके भव्य स्वागत की तैयारियाँ प्रारम्भ कर दी। कुछ दिन आप जी कीरतपुर ठहरे फिर वहाँ से विदाई लेकर आनन्दपुर पहुँचे। बहुत से गणमान्य व्यक्ति आपकी आगवानी करने पहुँचे हुए थे। आपको फूलमालाएँ पहनाई गईं और जय जयकार करते हुए आपको नये निवास स्थल पर ले जाया गया, रात्रि को दीपमाला की गई और समस्त संगत को प्रीति भोज दिया गया। गुरूदेव जी ने आनन्दपुर का निरीक्षण किया और पाया कि अभी बहुत से काम अधूरे हैं और समय की आवश्यकताओं को मद्देनज़र रखते हुए बहुत से निर्माण कार्य शेष रहते हैं। जिन पर समय और धन की आवश्यकता रहेगी। जैसे ही पँजाब के विभिन्न क्षेत्रों में समाचार पहुँचा कि श्री गुरू तेग बहादर साहब जी पँजाब लौट आये हैं तो दूर-दराज के क्षेत्रों से संगतें दशमाँश की राशि यानि धन का दसवाँ भाग लेकर दर्शनों के लिए उमड़ पड़ी। आनन्दपुर में संगतों का जमावड़ा प्रतिदिन बढ़ने लगा। देखते ही देखते नवनिर्माण के कार्यों में तेजी आ गई किन्तु गुरूदेव जी ने महसूस किया कि अभी परिवार को वापिस न बुलाया जाये क्योंकि कुछ विशेष भवन निर्माण करने हैं और भविष्य में होने वाली राजनीतिक उथलपुथल का सामना करने के लिए सुरक्षित करना है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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