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27. परिवार से मिलन

औरँगजेब ने जब अनुभव किया कि हिन्दू राजाओं की शक्ति क्षीण हो चुकी है और प्रशासन पर मजबूत पकड़ है तो उसने अपने स्वभाव अनुसार सम्प्रदायिक विष उगलना प्रारम्भ कर दिया जैसे ही श्री गुरू तेग बहादुर जी को औरँगजेब की नई सम्प्रदायिक विष भरी नीतियों की घोषणाओं के बारे में ज्ञान हुआ, वह तुरन्त पँजाब लौटने का प्रयास करने लगे ताकि समय रहते लोगों में जागृति लाई जा सके। गुरूदेव जी जगन्नाथपुरी से सीधे परिवार से मिलने पटना पहुँचे। आपके आगमन पर स्थानीय संगत ने भव्य स्वागत किया। आपने अपने प्यारे बेटे गोबिन्द राय जी को पहली बार देखा। वह लगभग चार वर्ष के होने वाले थे। पिता व पुत्र का प्रथम मिलन था। आपने अपने प्रतिभाशाली पुत्र को आलिँगन में लिया और उसका माथा चूमा, इस प्रकार पिता व पुत्र के हृदय में हर्षउल्लास की लहर दौड़ गई। यह अलौकिक मिलन था, जो वर्षों पश्चात् सम्भव हो पाया था। गुरूदेव जी लगभग तीन माह पटना में रहे। तत्पश्चात निर्णय लिया कि हम पहले पँजाब जाकर वहाँ पर नये नगर चक्क नानकी की व्यवस्था ठीक करेंगे और नवनिर्माण के कार्य जो अति आवश्यक हैं, पूर्ण करके परिवार को वहाँ बुलायेंगे। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत गुरूदेव जी ने अपने साले कृपालचँद और अन्य सेवकों को आदेश दिया कि वे यहीं कुछ समय और ठहरें और परिवार की देखभाल करें। जैसे ही हमें सब कुछ सामान्य मालूम होगा, आप सबको पँजाब आने के लिए सन्देश भेज देंगे। इस प्रकार श्री गुरू तेग बहादुर जी अपनी माता नानकी जी व पत्नी गुजर कौर से आज्ञा लेकर पँजाब के लिए प्रस्थान कर गये।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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