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2. नवाब भीखन खान

दूसरी ओर जब मालेरकोटला के नवाब भीखन खान को ज्ञात हुआ कि सिक्ख केवल 10 मील की दूरी पर आ गए हैं तो वह बहुत चिन्तित हुआ। उस समय सरहिन्द का सूबेदार जैन खान दौरे पर किसी निकट स्थल पर ही था। भीखन खान ने उससे सहायता की याचना की। इसके अतिरिक्त उसने तुरन्त अब्दाली को भी यह सूचना भेजी कि सिक्ख इस समय उसके क्षेत्र में एकत्रित हो चुके हैं। अतः उन्हें घेरने का यही शुभ अवसर है। अहमदशाह अब्दाली के लिए तो यह बड़ा अच्छा समाचार था। उसने 3 फरवरी को प्रातःकाल ही कूच कर दिया और किसी स्थान पर पड़ाव डाले बिना सतलुज नदी को पार कर लिया। अब्दाली ने 4 फरवरी को सरहिन्द के फौजदार जैन खान को सँदेश भेजा कि वह 5 फरवरी को सिक्खों पर सामने से हमला कर दे। यह आदेश मिलते ही जैन खान, मालेरकोटले का भीखन खान, मुर्तजा खान वड़ैच, कासिम खान मढल, दीवान लच्छमी नारायण तथा अन्य अधिकारियों ने मिलकर अगले दिन सिक्खों की हत्या करने की तैयारी कर ली। अहमदशाह 5 फरवरी, 1762 ईस्वी को प्रातःकाल मालेरकोटला के निकट बुप्प ग्राम में पहुँच गया। वहाँ लगभग 40,000 सिक्ख शिविर डाले बैठे थे, अधिकाँश अपने परिवारों सहित लक्खी जँगल की ओर बढ़ने के लिए विश्राम कर रहे थे। इस स्थान से आगे का क्षेत्र बाबा आला सिंह का क्षेत्र था, जहाँ बहुसँख्या सिक्खों की थी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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