36. माता भानी जी का निधन
श्री गुरू अरजन देव साहिब जी अकाल पीड़ितों के लिए जब परिवार सहित लाहौर नगर चले गये
तो आपकी माता भानी जी कुछ दिनों के लिए अपने मायके श्री गोइँदवाल साहिब जी चली गईं।
वहाँ उनके स्वास्थ्य में विकृति आ गई। आप जी का बहुत उपचार किया गया किन्तु आप जी
पुनः पूर्ण रूप से स्वास्थ्य लाभ नही उठा सकीं। इस पर उन्होंने अपना अन्तिम समय
निकट जानकर गुरू जी को लाहौर से लौट आने का सन्देश भेजा। सन्देश प्राप्त होते ही
गुरू जी श्री गोइँदवाल साहिब जी लौट आए। प्रिय पुत्र के लौटने पर माता जी ने सन्तोष
व्यक्त किया और कहा कि मैं यह शरीर त्यागने के लिए तैयार हूँ और उन्होंने गुरू जी
की गोद में शरीर त्याग दिया। गुरू जी ने उनकी अँत्येष्टि क्रिया बिना किसी
कर्मकाण्ड के सहज रूप में सम्पन्न कर दी। गुरू जी अभी श्री गोइँदवाल साहिब जी में
ही थे कि सम्राट अकबर पँजाब का दौरा पूर्ण करके वापिस लौटते हुए श्री गोइँदवाल
साहिब जी ठहरा। जब उसे मालूम हुआ कि गुरू जी यहीं है, तो वह दर्शनों को चला आया।