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32. लाहौर नगर के अकाल पीड़ितों की सहायता

श्री गुरू अरजन देव साहिब जी को लाहौर की संगत ने आमँत्रित किया और उनको जनसाधारण की तरफ से प्रार्थना भेजी कि वर्षा न होने के कारण नगर के निम्न वर्ग की दशा दयनीय है। समस्त क्षेत्र में सूखा पड़ने के कारण अनाज का अभाव हो गया है। अकालग्रस्त लोग गरीबी के कारण भयँकर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। हैजा, बुखार, चेचक इत्यादि रोग फैलते जा रहे हैं। उपचार के कोई साधन दिखाई नहीं देते। यहाँ तक कि मृतकों की सँख्या अधिक होने के कारण उनके शवों की अँत्येष्टि क्रिया या दफन करने का कोई सँतोषजनक प्रबन्ध भी नहीं है। ऐसे में महामारी फैलने का भय व्याप्त है। कृप्या आप इस कठिन समय में यहाँ पधारें और जनसाधारण को इस प्राकृतिक प्रकोपों के समय उनकी सहायता करके कल्याण करें। गुरू जी तुरन्त ही अकाल पीड़ितों की सहायता के लिए गुरूघर के कोष से राशि ली और लाहौर प्रस्थान कर गए। वहाँ उन्होंने अपने समस्त अनुयाइयों को सँगठित किया और स्वयँ सेवकों की टुकड़ियाँ बनाकर नगर के कोने-कोने में भेजीं। इन स्वयँ सेवकों ने समस्त अकाल पीड़ितों के लिए स्थान-स्थान पर लँगर लगा दिए तथा रोगियों के लिए निःशुल्क दवा का प्रबन्ध कर दिया। जिन लोगों की मृत्यु हो गई थी उनके पार्थिव शरीर की अँत्येष्टि सामूहिक रूप में सम्पन्न कर दी गई। गर्मी के कारण पेयजल की कमी स्थान-स्थान पर अनुभव हो रही थी। गुरू जी ने एक पँथ दो काज के सिद्धान्त को सम्मुख रखकर नये कुँए खुदवाने पारम्भ कर दिए, जिससे वहाँ कई बेरोजगार व्यक्तियों को काम मिल गया। समस्या बहुत गम्भीर और विशाल थी। इसलिए गुरू जी ने बेरोजगारों को काम दिलवाने के लिए कई योजनाएँ बनाई। जिसमें उन्होंने कुछ ऐतिहासिक भवन बनवाने प्रारम्भ किए जिससे सर्वप्रथम बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो जाए। दूसरी तरफ मृत व्यक्तियों के परिवारों में कई बच्चे अनाथ हो गए थे, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। गुरू जी ने दूसरे चरण में समस्त बच्चों को एकत्र करवाया, जिनका अपना सगा संबंधी कोई बचा नही था और उनकी देखभाल के लिए अनाथालय खोल दिया। जिससे उन पीड़ित बच्चों को गुरू जी का सँरक्षण प्राप्त हो गया। इस शुभ कार्य को देखकर स्थानीय कुछ धनाढ़य लोगों ने गुरू जी के कोष में अपना योगदान देना प्रारम्भ कर दिया। उन दिनों स्थानीय प्रशासन की तरफ से जनता की भलाई के लिए विशेष कार्यक्रम नहीं हुआ करते थे। यह समाज सेवा की निष्काम बातें जब स्थानीय राज्यपाल मुर्तजा खान को सुनने को मिलीं तो वह गुरू जी से मिलने चला आया।

उसने अपनी सरकार की और से गुरू जी का धन्यवाद किया और कहा कि प्रशासन आपका ऋणी है। जो कार्य हमारे करने का था, वह आपने किया है। अतः हम सभी लोग आपके सदैव आभारी रहेंगे। विचारविमर्श में मुर्तजा खान ने अपनी विवशता व्यक्त करते हुए कहा कि अकाल के कारण प्रदेश के किसानों ने लगान जमा ही नहीं कराया इसलिए खजाने खाली पड़े हैं। मैंने यहाँ के किसानों तथा मजदूरों की दयनीय हालत केन्द्रीय सरकार को लिखी है। बादशाह अकबर स्वयँ यहाँ तशरीफ ला रहे हैं। गुरू जी ने राज्यपाल मुर्तजा खान की मजबूरी को समझा और उसे साँत्वना दी और कहने लगे कि यदि बादशाह अकबर यहाँ आते हैं तो हम उनसे मिलना चाहेंगे। राज्यपाल ने गुरू जी को आश्वासन दिया कि मैं आपकी भेंट सम्राट अकबर से अवश्य ही करवाऊँगा। जब सम्राट अकबर को पँजाब जैसे समृद्ध क्षेत्र से लगान नही मिला तो वह वहाँ के राज्यपाल के सँदेश पर स्वयँ स्थिति का जायजा लेने पँजाब पहुँचा। राज्यपाल मुर्तजा खान ने समय का लाभ उठाते हुए सम्राट अकबर की भेंट गुरू जी से निश्चित करवा दी। गुरू जी ने सूखाग्रस्त क्षेत्रों में किसानों की आर्थिक दशा का चित्रण अकबर के समक्ष किया। वह गुरू जी के तर्कों के सम्मुख झुक गया और उसने उस वर्ष का लगान माफ कर दिया। गुरू जी का मानवता के प्रति निष्काम प्रेम देखकर, सम्राट अकबर के दिल में उनके प्रति स्नेह उत्पन्न हो गया और उसने गुरू जी से बहुत सी भक्तिवाणी सुनी, जिससे उसके मन के सँशय निवृत हो गए। उन्हीं दिनों गुरू जी को स्थानीय सूफी फकीर साँईं मियाँ मीर जी भी मिलने आए। उन्होंने गुरू जी से कहा कि मैं आप जी द्वारा रचित श्री सुखमनी साहिब जी प्रतिदिन पढ़ता हूँ, मुझे इस रचना में बहुत आनन्द प्राप्त होता है क्योंकि इसमें जीवन युक्ति छिपी हुई है किन्तु मुझे एक विशेष पँक्ति पर आप से कुछ जानकारी प्राप्त करनी है। इस पर गुरू जी ने कहा कि अवश्य ही जो भी पूछना चाहते हैं, पूछिए। साँईं जी ने पूछा कि आप अपनी रचना में ब्रहमज्ञानी के लक्षणों का वर्णन करते हैं। क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति के दर्शन करवा सकते हैं अथवा इन पँक्तियों के अर्थ स्पष्ट कर सकते हैः

ब्रहम ज्ञानी कै मित्र सत्र समानि ।।
ब्रहम ज्ञानी कै नाही अभिमान ।।

उत्तर में गुरू जी ने कहा कि आप कुछ दिन प्रतीक्षा कीजिए, समय आने पर इस पँक्ति के अर्थ आप स्वयँ जान लेंगे और ब्रहमज्ञानी के दर्शनों की इच्छा भी आपकी अवश्य ही पूर्ण होगी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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