4. नये नगर निर्माण की योजना
श्री गुरू अमरदास जी ने जेठा जी को बुलाकर कहा, अब समय आ गया एक
नये नगर का निर्माण करो, जिससे गुरू नानक साहिब के सिद्वान्तों को अन्य क्षेत्रों
में भी फैलाया जा सके। ऐसा करने से एक पंथ दो काज हो जायेंगे। अतः उन्होंने बहुत बड़ी
धनराशि देकर कहा: आप बाबा बुड्डा जी की सलाह से भूमि खरीदने का कार्य करें। गुरू जी
ने झुबाल गाँव से बाबा बुड्डा जी को बुलाकर जेठा जी के साथ नया नगर बसाने के लिए
भूमि खरीदने भेजा और सर्तक किया कि बिना मूल्य दिये कोई भूमि नहीं लेना। बाबा बुड्डा
जी की देखरेख में जेठा जी ने गुमटाला, तुँग, सुलतान विंड तथा गिलवाली गाँवों के
मध्य में विशाल भूमि उचित मूल्य देकर सन् 1570 में खरीदी। श्री रामदास (भाई जेठा
जी) ने भूमि खरीदन के पश्चात् नये नगर की आधारशिला रखने के लिए गुरू अमरदास जी को
आमँत्रित किया। गुरू जी पधारे और उन्होंने समस्त क्षेत्र का निरीक्षण किया और
आधारशिला रखते हुए उस नगर का नाम गुरू का चक्क रखा। सन् 1573 में यहाँ पर सरोवर की
आधारशिला रखने के लिए उन्होंने बाबा बुड्डा जी से आग्रह किया कि कृप्या आप इस स्थान
पर टक लगाए, जिससे सरोवर की कार–सेवा प्रारम्भ की जा सके। बाबा बुड्डा जी ने एक बेर
के वृक्ष को केन्द्र मानकर खुदाई प्रारम्भ कर दी। जिसे आजकल दुख भँजनी बेरी कहते
हैं। नये सरोवर की खुदाई का काम बहुत तेजी से चल रहा था, किन्तु गुरू अमरदास जी ने
अपना स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण भाई जेठा जी को गुरू के चक्क से वापिस बला लिया,
जिससे सरोवर का कार्य धीमा हो गया।