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9. ठसके पर विजय

तत्पश्चात् खालसा दल ठसके नामक स्थान पर पहुँचा, यहाँ के पीर बहुत अजमत, चमत्कारी शक्तियों वाले थे, अतः स्थानीय हाकिम विचार रहे थे कि बंदा सिंह की यहाँ खैर नही, हम उसे नगर के निकट भी नहीं आने देगें। किन्तु पीरों की एक न चली। खालसा दल के सामने वे क्षण भर भी टिक न सके। खालसा दल नगर में प्रवश करे, इससे पहले स्थानीय पीर जाफ़र अली खान स्वयँ काँपते हुए मुंह में घास लेकर बंदा सिंह के सम्मुख उपस्थित हुआ और कहने लगा कि हमें क्षमा करें, हम आप की गाय हैं। बंदा सिंह बहुत दयालु प्रवृति वाला था। उसने शरण आए की लाज रख ली और कहा– अड़े सो झड़े, शरण पड़ सो तरे। इस प्रकार उसने ठसका क्षेत्र को किसी भी प्रकार की हानि नही पहुँचाई केवल सैन्य सामग्री और नगद की माँग की जो कि उसें स्थानीय जनता ने नज़राने के रूप में भेंट में दे दी। अब बारी थी थानेश्वर की किन्तु बंदा सिंह किसी भी तीर्थ स्थल का अपमान नहीं करना चाहता था। वह बहुत धार्मिक प्रवृति रखता था अतः थानेश्वर पर आक्रमण का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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