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7. समाणा पर आक्रमण

जत्थेदार बंदा सिंह ने महसुस किया कि उसके पास अब विशाल सैन्यबल है अतः उसे अब अपनी शक्ति शत्रु को दुर्बल करने मे लगानी चाहिए। अतः उन्होंने अब बाँगड़ देश के सबसे धनाढ़य नगर को ध्वस्त करने का कार्यक्रम बनाया। उसका मुख्य कारण यह था कि यहाँ श्री गुरू तेग बहादुर जी को शहीद करने वाला जल्लाद जलालुद्दीन और छोटे साहिबजादों को कत्ल करने वाले जल्लाद शाशल बेग और बाशल बेग यहीं पर रहते थे। इस नगर का नाम समाणा था। इस नगर की सुरक्षा के लिए उन दिनों शाही सेना की एक पलटन नियुक्त थी। जत्थेदार बंदा सिंह ने पाँच प्यारों से इस विषय में परामर्श करके अपनी नई सँगठित सेना को सम्बोधित करते हुए आदेश दिया कि मेरे प्यारे भाई रूप में जवानों, हमारा एक मात्र उद्देश्य दुष्टों-अपराधियों को दण्डित करना है। इसके साथ ही शत्रु सेना की शक्ति क्षीण करना है और अगामी कार्यों के लिए धन अर्जित करना है। किन्तु हम सब गुरू के सेवक हैं अतः ऐसा कोई कार्य उत्तेजना में न हो जाए जो गुरू को स्वीकार न हो, मेरा तात्पर्य यह है कि हमने किसी निर्दोष को पीड़ित नहीं करना और ना ही किसी महिला का अपमान करना है। यदि हम अपने कर्त्तव्य पर अड़िग रहे तो गुरू हमारे अंग संग रहेगा और विजय सदैव हमारी होगी। यह सुनते ही सभी सिंघ सिपाहियों ने जयकारा बुलँद किया– देग तेग फतेह, पँथ की जीत ।। राज करेगा खलसा, आकी रहे न कोय ।। तत्पश्चात् जयघोष के साथ समाणा नगर पर आक्रमण कर दिया। उस समय समाणा का फौजदार सिंघों की सैनिक गतिविधि से बेखबर ऐश्वर्य मे खोया, मस्त पड़ा था। उसे कद्चित आशा नहीं थी कि शाही सेना से कोई लोहा लेने के लिए उनके किलेनुमा नगर पर धावा बोल सकता है। देखते ही देखते सिंघों ने नगर के दरवाजे तोड़ डाले और ‘बोले सो निहाल, सत श्री अकाल,’ के नारे लगाते हुए नगर के अन्दर घुस गए। सिंघों को कई स्थानों पर थोडा बहुत प्रतिरोध का सामना करना पडा किन्तु छोटी मोटी झडपों के पश्चात् बहुत जल्दी समस्त समाणा सिंघों के जुतों के नीचे था। समाणा पर नियन्त्रण करते ही बंदा सिंह ने अपने लक्ष्य अनुसार उन दुष्टों की हवेलियों को चुन लिया जिससे बदला लेना था और उनको ध्वस्त करने के लिए अग्नि को भेंट कर दिया। समस्त शाही सेना को शस्त्र-अस्त्र डालने पर विवश किया किन्तु अधिकाँश शाही फौजी मारे जा चुके थे। इसलिए जत्थेदार बंदा सिंह को बहुत बडी सँख्या में सैन्य सामग्री हाथ लगी।

जनसाधारण सिंघो के आक्रमण से बहुत भयभीत था। विशेषकर महिलाएँ भगदड़ में विलाप कर रही थी। सभी को बंदा सिंह ने विश्वास में लिया और कहा कि समस्त महिलाएँ हमारी माता, बहनें और बेटियाँ हैं किसी को भी चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं, हम किसी भी निर्दोष व्यक्ति को कष्ट देना नहीं चाहते। इस विजय से बंदा सिंह के हाथ बड़ा सरकारी खजाना आया। बंदा सिंह ने व्यर्थ कें किसी प्रकार के रक्तपात को होने ही नही दिया। क्योकि वह बहुत कोमल हृदय का स्वामी था, उसका पिछला जीवन वैरागी साधु का था, जिसने हिरनी के शिकार करने पर उसके पेट के बच्चों के मरने पर सँन्यास ले लिया था। इस समय वह अपने गुरू के बच्चों पर हुए अत्याचार का बदला लेने आया था। अतः वह स्वयँ दूसरो पर अत्याचार किस प्रकार कर सकता था। जबकि उसको गुरू साहिब जी का आदेश था कि गरीब के लिए तुम रक्षक बनोगें और दुष्टों के लिए महाकाल। जत्थेदार बंदा सिंह ने समाणा नगर को विजय करने के पश्चात वहाँ की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए योग्य और सहासी वीर फतेह सिंह को स्थानीय फ़ौज़दार नियुक्त कर दिया। उन दिनों कानून व्यवस्था के सँचालक विरिष्ठ सैन्य अधिकारी ही हुआ करते थे। समाणा नगर की विजय से जत्थेदार बंदा सिंह को अनेकों राजनैतिक लाभ हुए।

1. पहला– सिक्ख सेना की चारों ओर धाक जम गई, जिसको देख, सुनकर सभी नानकपँथी सिंघ सजकर, केशधारी रूप धारण करके खालसा फौज में भर्ती हो गए। जिससे बंदा सिंह के नेतृत्व में विशाल सिक्ख सेना पुनः सँगठित हो गई।
2. दूसरा– मुग़ल सेना के हौंसले पस्त हो गए। वह जत्थेदार बंदा सिंह के नाम से भय खाने लगे। उनका विचार था कि बंदा सिंघ कोई चमत्कारी शक्ति का स्वामी है जिसके सामने टिक पाना सम्भव नहीं।

समाणा की पराजय सुनकर राजपूताने से सम्राट बहादुरशाह ने सरहिन्द के सूबेदार वजीर खान को आदेश भेजा कि वह बंदा सिंघ को परास्त करे और उसकी सहायता के लिए दिल्ली व लाहौर से सेनाएँ भेजी गई। अतः सँदेश प्राप्त होते ही वज़ीर खान ने अपने गुप्तचर विभाग को बंदा सिंघ की सैनिक शक्ति का अनुमान लगाने का कार्य सौंपा। जैसे ही वजीर खान का गुप्तचर विभाग सक्रिय हुआ बंदा सिंह के जवानों के हाथों पकड़ लिया गया और जत्थेदार बंदा सिंह के समक्ष पेश किया गया। इस पर बंदा सिंह ने अपने पाँच प्यारों वाली पँचायत बुलाकर इस विषय पर विचार गोष्ठि की। निर्णय यह हुआ कि इन गुप्तचर कर्मीयों के हाथों वजीर खान को चेतावनी भेजी जानी चाहिए कि हम अपने गुरू के बेटों कि हत्या का प्रतिशोध लेने आ रहे है। वह समय रहते अपनी सुरक्षा का प्रबन्ध कर ले। जैसे ही इन गुप्तचर कर्मीयों ने वजीर खान कों बंदा सिंह के सैन्यबल का विवरण दिया। वह बहुत भयभीत हुआ। उसने नई फौजी भर्ती प्रारम्भ कर दी और सम्राट के आश्वासन अनुसार दिल्ली व लाहौर के सूबों से सैनिक सहायता जल्दी भेजने का आग्रह किया। वजीर खान ने अपना सम्पूर्ण ध्यान अपनी सैनिक शक्ति बढाने पर एकाग्र कर दिया। वह सभी प्रकार की सैनिक सामग्री व रसद इकट्ठी करने में जुट गया। जत्थेदार बंदा सिंह को पाँच प्यारे की पँचायत ने अनुरोध किया कि यह समय उपयुक्त है, हमें सरहिन्द पर धवा बोल देना चाहिए किन्तु बंदा सिंह ने विचार रखा कि पँजाब के मांझा क्षेत्र व दूरदराज के क्षेत्रों के सिंघों को भी आ जाने दो। कुछ सिंघों ने कहा कि यदि हम मांझे के सिंघों की प्रतिक्षा करेगें तो दूसरी और सम्राट के शाही सैनिक भी लाहौर व दिल्ली से वजीर खान की सहायता के लिए पहुँच जाएँगे। इस पर पतिद्वन्दी पक्ष की स्थिति अधिक सुदृढ हो जाएगी। अतः कड़ा मुकाबला करना पडेगा। उत्तर में बंदा सिंह ने कहा कि मैं वही तो चाहता हूँ कि एक ही समय में शत्रु को बुरी तरह परास्त किया जाए और अपनी धाक जमा ली जाए, जिससे आगे के रणक्षेत्र विजय करने में कठिनाई न होगी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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