SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

5. ग्वालियर नगर के निकट

नोटः (यह 5 नम्बर का पाइण्ट 4 नम्बर के पहले पाइण्ट झाँसी से पहले आना था। इसलिए इसे 4 नम्बर के पहिले पाइण्ट झाँसी से पहले माना जाए। सही कतार इस प्रकार बनेगी– पहले झाँसी फिर ग्वालियर फिर आगरा और बाद में सोनीपत)

रास्ते मे ग्वालियर नगर के निकट एक गाँव के लोग बहुत भयभीत दिखाई दिए, वे लोग बंदा सिंह और उसके जत्थे को डाकू समझ रहे थे। बंदा सिंह ने उन्हें विश्वास में लिया और कहा हम तो यात्री है, पँजाब जा रहे हैं, हमसे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं बल्कि हम तो निर्बलों के रक्षक है और उनकी सहायता करने वाले हैं, जब चाहे परीक्षा ले सकते हो। इस पर गाँव का मुखिया बोला हमें डाकूओं ने चुनौती दे रखी है, वे कभी भी इस क्षेत्र पर आक्रमण कर सकते हैं। इसलिए हम गाँव छोड़कर भाग रहे हैं। यह सुनकर बंदा सिंह बोला यदि आप लोग धैर्य रखें और हमारे कहे अनुसार आचरण करें तो हम आप लोगों को सदैव के लिए डाकूओं के भय से मुक्ति दिलवा सकते हैं। गाँव के मुखिया ने तुरन्त गाँव की पँचायत बुलाई और जत्थेदार बंदा सिंह के प्रस्ताव पर विचार होने लगा। गाँव वालों ने बंदा सिंह से पूछा कि हमें क्या करना होगा? इस पर बंदा सिंह ने कहा कि हम तुम्हारे लिए डाकूओं का सामना करेगें केवल तुम लोग घरेलु रक्षक सामाग्रीः कुल्हाडी, लाठी, भाला इत्यादि लेकर हमारी दूसरी पँक्ति में डटे रहना और डाकूओं पर धावा बोलने की गर्जना करते रहना बाकी हम सम्भाल लेगें। जत्थेदार बंदा सिंह ने सर्वप्रथम इसी गाँव में मोर्चा लगा लिया और गाँव वालों को सैनिक प्रशिक्षण देने लगे। प्रशिक्षण प्राप्त करते ही स्थानीय युवकों का आत्मविश्वास जागृत हो उठा और वह अदम्य साहस से जी उठे और वे डाकूओं के आने की प्रतीक्षा करने लगे। देखते ही देखते वह समय भी आ गया। डाकूओं ने निर्धारित समय पर गाँव पर धावा बोल दिया। किन्तु इस बार उनकी कल्पना के विपरीत कड़े प्रतिरोध का सामना करना पडा। जत्थेदार बंदा सिंह ने बहुत सतर्कता से एक चक्रव्युह की रचना कर डाली थी। उसने सभी गाँव के घरों में समान्य रूप से प्रकाश का प्रबन्ध कर दिया किन्तु घरों को खाली करवा लिया और स्वयँ गाँव की जनता सहित अँधकार की ओट में छिप गए। जैसे ही डाकूओं ने गाँव के घरों पर आक्रमण किया उसी समय पीछे से उन डाकूओं को घेर लिया गया। इस युक्ति से कोई भी डाकू वापस भाग नहीं सका, वहीं ललकार कर सिंघों तथा गाँव वालों ने ढेर कर दिए और उनके शस्त्र-अस्त्र तथा घोडे इत्यादि कब्जे में ले लिए। यह बहुत बडी विजय थी, जिससे उत्साहित होकर स्थानीय युवक बंदा सिंह की सेना में भर्ती होने का, उससे आग्रह करने लगे। इस सफलता ने सभी का मनोबल बढ़ा दिया था। बंदा सिंह ने इस अवसर से लाभ उठते हुए हुष्ट पुष्ट युवकों को अपनी सेना का सहर्ष अंग बना लिया और आगे बढ़ने लगे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.