23. मांझा क्षेत्र पर विजय तथा हैदरी
झण्डा
सरहिन्द में विजय के समाचार पहुँचते ही सारे देश में सिक्खों का साहस बढ़ गया और उनमें
स्वतन्त्रता की भावना जागृत हो उठी। सिक्ख अब यह समझने लगे कि परमात्मा स्वयँ उन्हें
विजय तथा राज्य प्रदान कर रहा है तथा मुग़लों का तेज अस्त होने वाला है। बंदा सिंघ
को सतिगुरू जी ने स्वयँ भेजा है तथा उसके सम्मुख जो अड़ेगा वह नष्ट होगा। इस समय
बंदा सिंघ जी के सँदेश, जो वह श्री गुरू गोबिंद सिंह जी के हुक्मनामे के साथ भेजता
था, स्थान-स्थान पर सिक्खों को एक झण्डे के नीचे इक्ट्ठा करने में सहायक सिद्ध होने
लगे। रियाड़की तथा मांझा क्षेत्र के आसपास के आठ हजार के लगभग सिक्ख श्री अमृतसर
साहिब जी में एकत्रित हुए और उन्होंने गुरूमत्ता किया।