20. जत्थेदार बंदा सिंघ बहादुर जी की
शासन प्रणाली
दल खालसा के सेना नायक बंदा सिंघ जी ने समस्त विजयी क्षेत्र को प्रशासनिक व्यवस्था
के लिए अलग-अलग योग्य पुरूषों में बाँट दिया। सतलुज नदी से यमुना नदी तक का क्षेत्र
सरहिन्द सूबे में पड़ता था। यह प्राँत 28 परगनों में विभाजित था। जिसका सँचालन
मुस्लिम अधिकारी करते थे। सरहिन्द की विजय से यह समस्त परगनें स्वयँ ही बंदा सिंघ
जी की छत्रछाया में आ गए थे। अतः बंदा सिंह सरहिन्द का राज्यपाल, गवर्नर नियुक्त
किया और उसकी सहायता के लिए आली सिंघ जी को उसका नायब बनाया गया। समाणा और उसके
निकट के क्षेत्रों को जो कि धनेसर के समीप थे फतेह सिंह को नियुक्त किया। इस प्रकार
पानीपत व करनाल क्षेत्र सरदार बिनोद सिंह को सौंप दिए। सढौरा तथा नाहन के बीच गाँव
आमुवाल की सीमा में मुखलिसगढ़ को जो कि एक ऊँचे-नीचे टीलों व खड्डों से घिरा था, दल
खालसा की राजधनी बनाया और इस किले का नाम लोहगढ़ धर दिया। इसी किले को खालसे की अगली
गतिविधियों के लिए स्थाई केन्द्र बनाया। अनुमान लगाया जाता है कि दल खालसा को तीन
करोड़ रूपये की धनराशि सरहिन्द विजय के समय हाथ लगी थी जो कि इसी किले में सुरक्षित
रखी गई और यहीं से श्री गुरू नानक देव व श्री गुरू गोबिंद सिंह जी के नाम पर फारसी
अक्षरों में अंकित स्वर्ण के सिक्के जारी किये। जिन पर निम्नलिखित इबारत छपी हुई
हैः
सिक्का मारिया दो जहान उते,
बख्शिश बख्शिआ नानक दी तेग ने जी।
फतेह शाहे-शाहान गुरू गोबिंद सिंघ दी,
मिहरां कीतियां रब्ब इक ने जी।