10. शाहबाद, कुन्जपुरा मुस्तफाबाद का
क्षेत्र (जगाधरी के निकट)
इसके बाद शाहबाद की बारी आई। स्थानीय फौजदार बंदा सिंह के आगमन
की बात सुनकर काँपने लगा। उसे समाणे की दुर्दशा का विवरण मिल चुका था। वह सपरिवार
दिल्ली भाग गया। बंदा सिंह के दल खालसा के सामने स्थानीय फौजियों ने सफेद झँडा लहरा
दिया। अब रक्तपात का प्रश्न ही नहीं उठता था। बंदा सिंह ने सभी को विश्वास में लिया
और यहीं से धन सम्पदा और सैन्य सामाग्री की आपूर्ति की। यहाँ बंदा सिंह बहादुर को
बताया गया कि कुन्जपुरा नामक स्थान वज़ीर खान का पुश्तैनी गाँव है। बस फिर क्या था
बंदा सिंह ने दल खालसे को आदेश दिया पहले कुन्जपुरा गाँव ही धवस्त कर दिया जाए। उधर
वाजीर खान को भी अनुमान था कि बढ़ते हुए खालसा दल का अगला लक्ष्य मेरा पुश्तेनी गाँव
कुन्जपुरा ही होगा। अतः उसने उसकी सुरक्षा के लिए दो हजार घोड़सवार, चार हजार प्यादे
और दो बड़ी तोपें भेज दीं। वह यहीं सिक्खों की शक्ति की परीक्षा लेना चाहता था।
किन्तु शाही सेना के वहाँ पहुँचने से पूर्व ही दल खालसा ने कुन्जपुरा को रौंद डाला।
जब शाही सेना पहुँची तो घमासान युद्ध हुआ। दल खालसा ने अपनी सँख्या के बल पर तोपों
पर नियन्त्रण कर लिया और शाही सेना को मार भगाया। इस भगदड़ में मुग़ल सेना बहुत सी
रणसामाग्री और घोड़े इत्यादि पीछे छोड़ गई। इस युद्ध में सिक्खों के हाथ मुस्तफाबाद
का क्षेत्र आ गया, यह स्थान जगाधरी के निकट है। इस विजय की खुशी में कुछ सिंघ चारों
ओर के गाँव कस्बों का सर्वेक्षण कर रहे थें कि उन्हें कुछ व्यक्ति एक स्थान पर गायों
का वध करते दिखाई दिए उन्होंने कसाईयों को ललकारा। किन्तु वे नहीं माने, कहने लगे,
आज बकरीद है, अतः हमने त्यौहार गऊ माँस से ही मनाना है। इस पर झगड़ा प्रारम्भ हो गया।
कहा-सुनी से तलवारे चल पड़ीं और रक्तपात हो गया, देखते ही देखते समस्त गाँव सिंघों
पर टूट पडा, सिंघ घायल हो गए। जैसे ही यह सूचना दल खालसे में पहुँची, वे सहायता को
दौड़ पड़े और समस्त दोषियों को पहिचानकर पकड़ लाए और उन्हें बंदा सिंघ के समक्ष पेश
किया। जत्थेदार प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए न्याय पर बहुत बल देते थे।
उन्होंने इन अपराधियों को न्याय के लिए समस्त घटनाक्रम को सुना और दोनों पक्षों के
अपराधियों को उचित दण्ड देने की घोषणा कर दी। इस घटना के पश्चात् हिन्दू व मुस्लिम
दोनों दल खालसा को चाहने लगा। उन्होंने लम्बे समय पश्चात् कोई निर्पेक्ष
न्याय-इन्साफ अपनी आँखों से देखा था। इस इन्साफ को देखकर वह सभी बंदा सिंह जी के
बहुत कायल हो गए।