1501. गुरूद्वारा श्री पीपल साहिब जी पातशाही 6, किस स्थान
पर सुशोभित है ?
ग्राम डंड, गुरूद्वारा बीड़ बाबा बुड्डा साहिब जी रोड, जिला
अमृतसर साहिब
1502. गुरूद्वारा पीपल साहिब जी पातशाही 6, का नाम पीपल
साहिब कैसे पड़ा ?
यहाँ पर एक पीपल का पेड़ है। जिससे गुरू जी ने अपना घोड़ा बाँधा
था। इस कारण इस गुरूद्वारे को श्री पीपल साहिब भी कहते हैं। जबकि इसका नाम पातशाही
6, डंड है।
1503. गुरूद्वारा पीपल साहिब जी पातशाही 6, का इतिहास क्या
है ?
भाई लँगाहा जो कि छठवें गुरू हरगोबिन्द साहिब जी के सेनापति थे।
उम्र ज्यादा हो जाने के कारण उन्होंने सेवा से छुटटी ले ली और गाँव डंड में आकर रहने
लगे। जब वो बहुत बुर्जुग हो गये तो वो अन्तिम दिनों में गुरू जी के दर्शन के लिए
उन्हें हमेशा याद करने लगे, वो बुर्जुग होने के कारण जा नहीं सकते थे। गुरू जी
अर्न्तयामी थे, वो उन्हें दर्शन देने के लिए स्वयँ पहुँच गये।
1504. गुरूद्वारा श्री पीपली साहिब जी, श्री अमृतसर शहर में
कहाँ स्थित है ?
पुतली घर एरिया, जिला अमृतसर, पँजाब
1505. गुरूद्वारा श्री पीपली साहिब, अमृतसर किस किस गुरू सें
संबंधित है ?
चौथे गुरू, श्री गुरू रामदास जी, पाँचवे गुरू, श्री गुरू अरजन
देव जी और छठवें गुरू हरगोबिन्द साहिब जी
1506. गुरूद्वारा श्री पीपली साहिब, अमृतसर का चौथे गुरू,
श्री गुरू रामदास जी से क्या संबंध है ?
यहाँ पर पीपली की घनेरी छाँव होने और लाहौर के रास्ते के होने
के कारण यहाँ श्री गुरू रामदास जी ने कुआँ बनवाया था।
1507. गुरूद्वारा श्री पीपली साहिब जी, अमृतसर साहिब जी का
पाँचवें गुरू, श्री गुरू अरजन देव जी से क्या संबंध है ?
जब श्री गुरू अरजन देव जी पाँचवे गुरू बने, तब प्रीथीचन्द ने
विराध किया और कार भेंटा आदि स्वयँ ही रख लेता था। इस कारण लँगर की व्यवस्था डगमगाने
लगी। तब इस जगह पर बाबा बुडडा जी और भाई गुरदास की थड़े पर चादर बिछाकर बैठ गये। आने
जाने वाली संगत को सारी बात बताई। संगत ने लँगर की व्यवस्था के लिए भेट आदि दी। और
लँगर की व्यवस्था फिर से कायम हुई।
1508. गुरूद्वारा श्री पीपली साहिब जी, अमृतसर साहिब जी का
छठवें गुरू, श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी से क्या संबंध है ?
जब श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी मुखलिस खाँ को मारकर और युद्व
जीतकर (ये सिक्ख इतिहास का सबसे पहला युद्व था।) इस स्थान पर आये और अपना कमरकसा
खोला, जल पीया और कुछ देर विश्राम किया।
1509. सिक्ख इतिहास के सबसे पहले युद्ध की जड़ का कारण किस
स्थान से संबंधित है, जिस स्थान पर श्री गुरूद्वारा साहिब जी सुशोभित है ?
गुरूद्वारा श्री पलाह साहिब जी, ग्राम खैराबाद, जिला अमृतसर
साहिब जी
1510. गुरूद्वारा श्री पलाह साहिब जी, ग्राम खैराबाद, जिला
अमृतसर साहिब जी, किस गुरू से संबंधित है ?
छठवें गुरू, श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी से
1511. जिस स्थान पर गुरूद्वारा श्री पलाह साहिब जी है, इस
स्थान पर श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी किस लिए आया करते थे ?
शिकार खेलने
1512. गुरूद्वारा श्री रामसर साहिब जी, अमृतसर साहिब जी में
कहाँ सुशोभित है ?
चटटीविंड गेट एरिया
1513. गुरूद्वारा श्री रामसर साहिब जी किस गुरू से संबंधित
है ?
श्री गुरू अरजन देव साहिब जी से
1514. गुरूद्वारा श्री रामसर साहिब जी का श्री गुरू अरजन देव
जी से क्या संबंध है ?
श्री गुरू अरजन देव जी ने इस स्थान पर एक सरोवर तैयार करवाया और
श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की पवित्र बीड़ साहिब जी, भाई गुरदास साहिब जी से लिखवाई
थी ?
1515. गुरूद्वारा श्री रामसर साहिब जी में शिरोमणी गुरूद्वारा
प्रबन्धक कमेटी के सहयोग से गोलडन ऑफसेट प्रैस लगाकर बड़े अदब और सत्कार से क्या
तैयार होता है ?
श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी के स्वरूप
1516. सिक्ख इतिहास का सबसे पहला युद्ध किस स्थान पर लड़ा गया
और जीता गया। जो कि श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी और मुखलिस खान के बीच हुआ था ?
गुरूद्वारा श्री सँगराणा साहिब जी
1517. गुरूद्वारा श्री सँगराणा साहिब जी किस स्थान पर
सुशोभित है ?
तरनतारन रोड, जिला श्री अमृतसर साहिब जी
1518. श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी ने माता सुलखणी को 7
पुत्रों का वरदान किस स्थान पर दिया था ?
गुरूद्वारा श्री सँगराणा साहिब जी
1519. गुरूद्वारा श्री संन साहिब जी (चौरासी कट) किस स्थान
पर सुशोभित है ?
ग्राम बासरके, जिला श्री अमृतसर साहिब जी
1520. गुरूद्वारा श्री संन साहिब (चौरासी कट) किस गुरू से
संबंधित है ?
तीसरे गुरू, श्री गुरू अमरदास साहिब जी