5. पीपा जी को कृष्ण जी के दर्शन होना
तीर्थ यात्रा करते हुए साधु समाज वाले द्वारिका नगरी जा पहुँचे। वहाँ रहते हुए पीपा
जी को साखी सुनाई कि श्री कृष्ण जी रूकमणी के साथ जिस द्वारिका नगरी में थे, वह नगरी
जल के नीचे है। वास्तव में यह नगरी परलोक में है। कुछ दिनों के बाद स्वामी जी तो
काशी वापिस चले गए। लेकिन पीपा जी तथा उनकी पत्नी द्वारिका नगरी में रहे। एक दिन
यमुना किनारे बैठे हुए उन्होंने ब्राहम्ण से पूछा: पंडित जी ! यह बताओ जिस द्वारिका
नगरी में कृष्ण जी रहते हैं, वह नगरी कहाँ है ? ब्राहम्ण ने सोचा कि यह कोई मूर्ख
है जो द्वारिका नगरी में बैठे हुए पूछ रहा है कि द्वारिका नगरी कहाँ है। ब्राहम्ण
ने हंसी मजाक में कहा: द्वारिका पानी में है। राजा पीपा जी ने सच मान लिया तथा जल
में छलांग लगा दी। उनके पीछे ही उनकी पतिव्रता स्त्री ने भी छलांग लगा दी। वे दोनों
ही पानी में लुप्त हो गए। देखने वाले हैरान हो गए तथा पंडित को बुरा भला कहने लगे।
ब्राहम्ण को यह मालूम न था कि पीपा एक इतना भोला व्यक्ति है कि जो मेरी कही हुई बात
को सच मान लेगा। दूसरी तरफ जब परमात्मा ने देखा कि भक्त और भक्तनी पानी में कुद गए
हैं तो उन्होंने अपने दूतों को भेजकर कृष्ण जी के पास भेज दिया। भक्त पीपा जी कृष्ण
जी के दर्शन करके निहाल हो गए। दूत उन्हें वापिस जल के बाहर छोड़ गए। (नोट: कृष्ण जी
भी परमात्मा के दास हैं, राम कृष्ण जैसे तो उस परमात्मा ने अनगिनित महापुरूष बनाएँ
हैं। और वह ऐसे महापुरूषों को समय-समय पर भेजता ही रहता है। यहाँ पर बात द्वारिका
नगरी में कृष्ण जी की हो रही थी इसलिए परमात्मा के दूत उन्हें कृष्ण जी के पास ले
गए।) अब लोगों ने हैरान होकर पूछा कि भक्त जी ! आप तो डूब गए थे। भक्त जी ने कहा कि
हम डूबे नहीं थे, हम तो केवल कृष्ण जी के दर्शन करने गए थे, सो कर आए हैं। जब लोगों
को पूरी वार्त्ता को पता लगा तो पीपा जी की महिमा सारी द्वारिका नगरी में सुगंधि की
तरह फैल गई।