SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

2. राजा को स्वप्न आना

राजा पीपा बहुत शान से अपने महल में सो रहा था। उसकी शैया मखमली थी। राजकुमारी सीता उसके साथ थी। राजा को दीन दुनिया का ज्ञान नहीं था। राजा को नींद में कुछ इस प्रकार का सपना आया कि सपने में राजा अपने बिस्तर पर सो रहा था तो उसके शीश महल के दरवाजे अपने आप खुल गए। राजा ने देखा कि एक बहुत भयानक सी सूरत उसकी तरफ बढ़ती आ रही है। राजा ने दैत्यों की सूरत के बारे में सुना हुआ था। वह सूरत कुछ इस प्रकार की ही थी। राजा एकदम घबरा गया और बोलने लगा: दैत्य आया ! दैत्य आया ! वह सूरत राजा के समीप आई और कहने लगी: हे राजा ! अब से दुर्गा की पूजा न करना। यदि करोगे तो केवल मृत्यु ही नसीब होगी। यह कहकर वह सूरत वहाँ से चल दी। राजा भयभीत हुआ कि उसने जल्द ही रानी सीता को जगाया और कहा: हे रानी ! शीघ्र उठो। चलो ! दुर्गा के मंदिर चलें। सीता रानी ने हैरान होकर कहा: हे नाथ ! आधी रात को दूसरा स्नान ? राजा ने कहा: मेरा दिल अधिक तेजी से घड़क रहा है। अभी जाना होगा। मुझे भयानक सपना आया है। सीता ने कहा: ठीक है नाथ ! जैसी आपकी आज्ञा। राजा और उसकी रानी सीता दोनों दुर्गा के मंदिर में पहुँचे। जैसे ही राजा पीपा ने देवी की मूर्ति के आगे स्वयँ को समर्पित किया। तो अचानक आवाज हुई: राजा ! मेरी पूजा न करो। मैं केवल एक पत्थर हूँ। किसी भक्त की शरण में जाओं, उसकी कृपा से तुम सही मार्ग को पाओगे। मैं तुम्हारा कल्याण नहीं कर सकती (तुम्हें मूक्ति प्रदान नहीं कर सकती)। जो संत जी तुम्हारे महल में भोजन ग्रहण करने गए थे, उनके पास जाओ।

राजा और रानी देवी की ऐसे कथन सुनकर बहुत हैरान हुए तथा डर गए। वे सोचने लगे कि देवी जी की मूर्ति को पूजते हुए इतने वर्ष हो गए परन्तु ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ। वे दोनों देवी जी का अंतिम प्रणाम करते हुए अपने महल की तरफ वापिस चल दिए। सुबह होते ही राजा ने स्नान किया और अपने सेवक को संतों के मुखी को बुलाने का आदेश दिया। सेवक ने भक्त से जाकर कहा हे संत जी कृपा करके राजा के महल में अपने चरण डालें। राजा जी बहुत हैरान तथा उदास हैं। संत जी यह जान गए कि प्रभु की राजा पर मेहर हुई है। प्रभु ने राजा को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। वह महल में दर्शन देने के लिए तैयार हो गए। संत जी जब राजा के पास पहुँचे तो उसका मुख देखकर प्रसन्न हुए। परन्तु राजा बहुत उदासी की दशा में था। वह दुर्गा जी की पूजा के लिए न गया। राजा, पंडित, ब्राहम्ण तथा दुर्गा के पुजारी बार-बार बुलाने के लिए संदेश भेजते रहे। राजा ने एक न सुनी तथा उत्तर दिया कि वह देवी के सामने नहीं जा सकता। वह कहते समय राजा की आँखों में एक अनोखी चमक थी। संतों के दर्शन करते ही राजा की उदासी दूर हो गई। उसने हाथ जोड़कर संतों से प्रार्थना की: हे भक्त जी ! मेरा दुख दूर कीजिए। मुझे अपने गुरू के पास ले चलिए। मैं उनके दर्शन करने के लिए बहुत उतावला हूँ। मैं न ही कुछ खाने के लिए और न ही कुछ पीने के लिए इच्छुक हूँ। संत जी ने कहा: राजन ! धैर्य रखो, प्रभु तुम्हारे दिल को शांत करेंगे। तुम्हें केवल अपने आप के नहीं, औरों के भी दुख दूर करने होंगे तथा उन्हें शांत करनना होगा। तुम्हें स्वामी जी के दर्शन अवश्य होंगे। राजा पीपा जी ने कहा: महाराज ! कृपा करें तथा मुझे जल्द जी दर्शन करवा दीजिए। मेरे दिल की तड़प बढ़ती ही चली जा रही है। संत जी ने कहा: ठीक है ! ऐसा करो, तुम काशी जाओ। वहाँ पहुँचकर रामानंद जी का आश्रम कहाँ है, पूछ लेना। राजा पीपा जी ने कहा: क्या आप साथ नहीं चलेंगे ? संत जी ने कहा: यह दर्शन अकेले ही करने होंगे। संत जी का उपदेश सुनकर राजा ने अपने सेवकों को काशी जाने की तैयारी करने का हुक्म दिया। राजा पीपा रथ में बैठकर काशी को चल दिए।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.