2. परमात्मा के दर्शन होने
भक्त जी जाति के ब्राहम्ण थे। घर में गरीबी अधिक थी। गरीबी से तँग होकर उदास घूमा
करते थे। एक दिन एक महापुरूष मिल गए। उनके समक्ष दिल की बात और घर के हालात
प्रस्तुत किए। उस महापुरूष ने बेणी जी को नेक सलाह दी कि भगवान की भक्ति किया करो।
भक्ति से सब कुछ प्राप्त हो जाता है। उसके कहने पर बेणी जी रोज घर से निकल जाते।
सुबह जाते और शाम को लौटते। सारा दिन एक चित्त होकर जंगल में भगवान की भक्ति करते
रहते। घर आते तो उनकी पत्नी पूछतीः स्वामी जी ! कहाँ गए थे ? भक्त बेणी जी कहतेः
भाग्यवान ! राजा के दरबार में कथा करने के लिए गया था। राजा बहुत अच्छा है और वह कथा
समाप्त होने पर बहुत सारा धन देगा। लेकिन घर पर रोज की जरूरतों की वस्तुओं की
आवश्यकता थी, कथा समाप्ति की प्रतीक्षा कौन करे। एक दिन उसकी पत्नी के सब्र का बाँध
टूट गया और उसने कहाः स्वामी ! सुनो जी ! आज कुछ न कुछ अवश्य ही लेकर आना नहीं तो
घर आने की कोई आवश्यकता नहीं। मैं भी मर जाऊँगी और बच्चों को भी नदी में फेंक दूँगी।
मैं तँग आ गई हूँ, इन बहानों से। रात दिन झूठ बोलते रहते हो। अब तो खाने को भोजन भी
प्राप्त नहीं होता। स्त्री का क्रोध बढ़ता ही जा रहा था। भक्त बेणी जी और भी शांत हो
गए और घर छोड़कर जंगल चले गए और पहले से अधिक अराधना करने लगे। उनकी भक्ति पर प्रभु
बहुत प्रसन्न हुए। उनकी गरीबी दूर करने हेतु एक राजा का रूप धारण करके भक्त बेणी जी
के घर पर पहुँच गए। दो गाड़ियाँ गेहूँ, घी, गुड़, दालों इत्यादि से लदी हुईं उसके घर
के आँगन में खड़ी कर दीं। प्रभु ने बेणी जी की स्त्री को सम्पूर्ण आदर के साथ कहाः
देवी जी ! आपके पति बेणी जी रोज राज दरबार में कथा करने जाते हैं। वह अभी कथा कर रहे
हैं। राजा की ओर से यह पदार्थ घर की जरूरतें पूर्ण करने के हेतु दी जाती हैं। साथ
ही सोना और धन दिया। बेणी जी की पत्नी खुश हो गई। वस्तुओं से घर भर गया। परमात्मा
वहाँ से चलकर बेणी जी के पास पहुँचे। भक्त बेणी जी को प्रत्यक्ष दर्शन देकर कहाः
भक्त बेणी ! जाओ तुम्हारी सभी आशाएँ पूर्ण कर दीं। तूँ घर जा और संतों की सेवा कर।
किसी भी चीज की कमी नहीं होगी। यह कहकर परमात्मा अदृश्य हो गए। आनंद मग्न बेणी जी
घर आए तो आगे राग रंग हो रहे थे। खुशियाँ मनाई जा रही थीं।