SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

97. बहादुरशाह द्वारा बहुमूल्य नगीना भेंट

श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी को सम्राट बहादुरशाह राजपूताने से लौटते समय श्री नांदेड़ साहिब मिलने आया। उस समय गुरू जी गोदावरी नदी के तट पर एक रमणीक स्थल पर विश्राम कर रहे थे। बहादुरशाह ने गुरू जी को एक बहुमूल्य नगीना भेंट किया। गुरू जी नगीना देखकर प्रसन्न हुए किन्तु कुछ ही समय के अन्तराल में उसे उठाकर गोदावरी नदी के गहरे पानी में फैंक दिया। यह देखकर बहादुरशाह विचलित हो उठा और वह विचारने लगा कि यह फकीर लोग हैं, इन्होंने अमूल्य नगीने के महत्व को समझा ही नहीं और वह उदास हो गया। मन ही मन सोचने लगा कि मैंने इन बेकद्र लोगों को यह अदभुत वस्तु क्यों उपहार में दी। तभी गुरू जी ने उसका उदास चेहरा देखकर प्रश्न किया कि क्या नगीना वापिस चाहते हो ? बादशाह बोला ने कहा, हाँ। गुरू जी ने उसे कहा कि नदी के पानी में उतर जाओ और अपना नगीना छाँटकर ले आओ। बादशाह ने पूछा कि आपकी बात का क्या तात्पर्य है ? क्या वहां और भी नगीने हैं। गुरू जी ने कहा कि गोदावरी हमारा खजाना है, हमने तुम्हारी भेंट अपने खजाने में जमा कर दी थी किन्तु तुम्हें सन्देह हो गया है। अतः स्वयँ ही अपने वाला नगीना चुनकर ले आओ। बहादुरशाह वचन मानकर नदी में उतरा और नदी की रेत में अनेकों नगीनें देखने लगा। उसने कुछ एक को पानी से बाहर निकालकर ध्यान से परीक्षण किया। वह सभी एक से बढ़कर एक और सुन्दर और अदभुत थे। यह आर्श्चजनक कौतुहल देखकर बहादुरशाह स्तब्ध रह गया और उसने सभी नगीने वापिस नदी में पुनः फैंक दिये और लौटकर बार बार नमस्कार करने लगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.