SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

96. माता साहिब कौर जी का दिल्ली प्रस्थान

श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी ने बंदा सिंघ बहादर साहिब जी को पाँच प्यारों के नेतृत्व में दुष्टों को दण्डित करने के लिए भेज दिया। उसके पश्चात ही आपने एक दिन अपनी पत्नी साहिब कौर जी को सुझाव दिया कि आप दिल्ली वापिस सुन्दरी जी के पास चली जाएँ। इस पर उन्होंने बहुत आपत्ति की और पूछा: कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं जबकि आप जानते हैं कि मैं आपकी सेवा और दर्शनों के बिना नहीं रह सकती। उत्तर में गुरू जी ने उन्हें बताया: कि मेरा अन्तिम समय निकट है, मैं जल्दी ही सँसार से विदा लेने वाला हूँ। यह सुनकर उनको बहुत दुख हुआ किन्तु उन्होंने प्रश्न किया: कि आप तो स्वस्थ युवावस्था में हैं और अभी आपकी आयु ही क्या है ? उत्तर में गुरू जी ने उनको रहस्य बताते हुए कहा: प्रकृति कि नियमानुसार समस्त प्राणियों को एक न एक दिन सँसार त्यागकर परलोक गमन करना ही होता है, भले ही वह पराकर्मी पुरूष हो अथवा चक्रवर्ती सम्राट, अतः इस नियम के बँधे हमें जाना ही है। इसमें अल्प आयु, दीर्घ आयु का प्रश्न नहीं है। जब श्वासों की पूँजी समाप्त होती है तो कोई कारण प्रकृति बना देती है। किन्तु साहिब कौर जी इस उत्तर से सन्तुष्ट नहीं हुईं। वह फिर से पूछने लगीं: कि आपके शरीर त्यागने का क्या कारण होगा ? इस पर गुरू जी ने उन्हें समझाते हुए कहा: मेरे साथ एक दुर्घटना होने वाली है बस यही कारण ही मेरे लिए वापिस प्रभु में विलीन होने के लिए प्रयाप्त होगा।किन्तु भावुकता में साहिब कौर जी ने पुनः प्रश्न किया: कि आप तो समर्थ हैं, इस अनहोनी को टाला नहीं जा सकता अथवा इसके समय में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। उत्तर में गुरू जी ने कहा: प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होता भले ही यह हमारे लिए सम्भव है किन्तु हमें प्रकृति के नियमों के अनुसार होना ही शोभा देता है। उदाहरण के लिए द्वापर युग में श्री कृष्ण जी जानते थे कि उनकी हत्या एक शिकारी द्वारा भूल से की जाएगी किन्तु वह उसके लिए तैयार थे और सामान्य बने रहे। ठीक इसी प्रकार हम प्रभु लीला में विचरण करते हुए शरीर त्यागेंगे। उन दिनों पँजाब से बाबा बुडढा जी के पोते भाई राम कुँवर जी तथा उनकी माता जी गुरू जी के दर्शनों के लिए श्री नांदेड़ साहिब जी आये हुये थे। जब वे पँजाब लौटने लगे तो गुरू जी ने अपनी पत्नी साहिब कौर जी को इनके काफिले के साथ दिल्ली भेज दिया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.