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83. सरहन्द से जागीरदार डल्ले को धमकी

सरहन्द में जब नवाब वजीर खान को यह सूचना मिली कि श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी साबो की तलवँडी क्षेत्र के जागीरदार डल्ला के पास उसके अतिथि के रूप में ठहरे हुए हैं तो उसने तुरन्त जागीरदार डल्ले को कड़े शब्दों वाला पत्र भेजा जिसमें आदेश था कि गुरू जी मुगल सल्तनत के बागी हैं। अतः उन्हें हमारे हवाले कर दो। ऐसा करने पर सम्राट की ओर से पुरस्कार भी दिलवाया जायेगा। यदि इसके विपरीत आदेश का उल्लँघन किया गया तो जागीर जब्त कर ली जाएगी और मुगल सेना तुम्हें मिटटी में मिला देगी। इस पत्र का डल्ले पर कोई प्रभाव नहीं हुआ। वह गुरू जी की संगत के कारण अभय हो चुका था। उसने धमकियों भरे पत्र का उत्तर बहुत ही साहस पूर्ण शब्दों में देते हुए लिखा: गुरू जी मेरे आदरणीय अतिथि हैं। मैं उनके लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तत्पर हूँ। यदि तुमने मुझ पर आक्रमण किया तो तुम्हारा इस क्षेत्र से जीवित बचकर जाना असम्भव होगा क्योंकि इस रेगिस्तान में पानी के अभाव में हम तुम्हें प्यासे ही मार देंगे। यह कड़ा उत्तर सुनकर नवाब वजीर खान, डल्ले पर आक्रमण करने का साहस नहीं कर पाया क्योंकि उसे खिदराणे की ढाब के कड़वे अनुभव ज्ञात थे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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